Friday, November 8, 2024
23.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiरिश्ता टूटता है, तो आवाज भले न हो, दर्द बहुत होता है

रिश्ता टूटता है, तो आवाज भले न हो, दर्द बहुत होता है

Google News
Google News

- Advertisement -

सचमुच जब कोई रिश्ता टूटता है, तो बहुत दर्द होता है। अपने सबसे छोटे भाई स्वपन बनर्जी उर्फ बाबुन बनर्जी के विद्रोही रुख अख्तियार करने के बाद संबंध विच्छेद करने की घोषणा करते समय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चेहरे पर जो पीड़ा थी, वह समझी जा सकती है। यह भी सही है कि ममता के संबंध विच्छेद की घोषणा करते ही बाबुन बनर्जी की अकल ठिकाने आ गई और उन्होंने अपनी बात से यूटर्न ले लिया और दीदी की बात मानने का मीडिया के सामने दावा किया। बात सिर्फ राजनीतिक घराने की ही नहीं, अगर एक सामान्य परिवार में जब कोई अलग होता है, तो ऐसा लगता है कि सीने से दिल खींच कर कोई लिए जा रहा हो।

सगा भाई-बहन, बाप-बेटा-बेटी संपत्ति या वैचारिक मतभेद के चलते अलग होते हैं, तो इन रिश्तों को निभाने और प्रेम करने वाले व्यक्ति को उस समय बस यही लगता है कि वह क्या कुछ ऐसा करे कि अलग होने वाला अपना इरादा बदल दे। अगर हम ममता बजर्नी और उनके भाई बाबुन बनर्जी की बात करें तो ममता के लिए यह फैसला बहुत मजबूर और दिल को बहुत कठोर बनाने के बाद लेना पड़ा होगा। पिता की मौत के बाद छह भाइयों में सबसे छोटे स्वपन को बहन ममता ने गरीबी में भी अपने बेटे की तरह पाला होगा, इसकी कल्पना की जा सकती है। ममता ने कहा भी है कि मैंने उसे 35 रुपये कमाकर पाला है।

यह भी पढ़ें : हरियाणा के नए राजनीतिक हालात में घाटे में रही जननायक जनता पार्टी

ममता ने अपने भाइयों के लिए जो कुछ भी हो सकता था, एक बहन होने के नाते जरूर किया होगा। राजनीति में आने के बाद आर्थिक हालात जरूर बदले होंगे। लेकिन उससे पहले तो ममता जैसे हालात में रहने वाले हर व्यक्ति को काफी मेहनत करके परिवार पालना पड़ता है। ममता ने अपने परिवार के लिए शादी नहीं की या राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते, लेकिन शादी नहीं की, यह अकाट्य सत्य है। ऐसी स्थिति में रहने वाली हर महिला अपने छोटे भाई-बहनों में ही बेटा-बेटी का अक्स खोजती है। हर बड़ी बहन के लिए छोटे भाई-बहन बेटा-बेटी के समान होते हैं। ममता बनर्जी के सीएम बनने से पहले बंगाल में ही बाबुन बनर्जी को कौन जानता था? कोई नही।

आज वे बंगाल ओलंपिक एसोसिएशन, बंगाल हॉकी एसोसिएशन के अध्यक्ष, बंगाल बॉक्सिंग एसोसिएशन के सचिव और टीएमसी के खेल विंग के प्रभारी भी हैं तो किसकी बदौलत? ममता की बदौलत न! थोड़ी देर के लिए मान लिया जाए कि टीएमसी के हावड़ा लोकसभा सीट के प्रत्याशी प्रसून बनर्जी से नहीं बनती है। बाबुन हावड़ा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, तो अपनी दीदी से बात करते, मनाते, नहीं मानती तो पैर पकड़ लेते। लेकिन विद्रोह न कोई रास्ता है, न समाधान। यह बात सिर्फ टीएमसी के लिए ही लागू नहीं होती, कांग्रेस, बसपा, सपा, भाजपा जैसी तमाम पार्टियों और सामान्य से लेकर देश के चर्चित परिवारों तक सब पर लागू होती है। परिवार में मतभेद है, तो मिल बैठकर सुलझाइए। इस पर भी बात नहीं बनती है, तो फिर चुपचाप निकल जाइए। कोई वितंडा मत खड़ा कीजिए, जैसा बाबुन बनर्जी ने किया। जग हंसाई कराई।

लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Maharashtra elections:मतदान के लिए 20 नवंबर को कर्मचारियों को मिलेगा सवैतनिक अवकाश

बृहन्मुंबई(Maharashtra elections:) महानगर पालिका क्षेत्र में स्थित सभी प्रतिष्ठानों, व्यवसायों और कार्यस्थलों को 20 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपने कर्मचारियों को मतदान...

अब अपने घर का सपना पूरा कर सकेंगे सरकारी कर्मचारी

संजय मग्गूअपना घर हो जिसमें वह सुख-शांति के साथ जीवन गुजार सके, यह सपना हर किसी का होता है। यह एक ऐसा सपना होता...

UP CM:योगी आदित्यनाथ ने छठ पर्व पर प्रदेशवासियों को दी बधाई

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री(UP CM:) योगी आदित्यनाथ ने लोक आस्था के पर्व छठ के अवसर पर बृहस्पतिवार को प्रदेशवासियों को बधाई दी। मुख्यमंत्री कार्यालय...

Recent Comments