हमारा देश जब आजाद हुआ था, तब देश की आर्थिक हालत काफी खस्ताहाल थी। अंग्रेज हमारे देश की धन संपदा लूटकर अपने देश चले गए थे। ऐसी स्थिति में हमारे नेताओं और नीति निर्धारकों को देश के साथ-साथ देश की जनता को संभालना था। समाज का एक तबका उन दिनों काफी खराब हालत में था। यही वजह है कि उन्हें कुछ आरक्षण, कुछ रियायतें और कुछ आर्थिक मदद केंद्र और राज्य सरकारों ने देनी शुरू की। एक मदद यह भी थी कि अल्पसंख्यक समुदाय के शिक्षण संस्थाओं को आर्थिक मदद दी जाए ताकि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत को बचा सकें। गरीब और पिछड़े समुदाय के बच्चों को वजीफा या छात्रवृत्ति दी जाए, ताकि उन्हें पढ़ने लिखने में किसी तरह की दिक्कत न आए। लेकिन पिछले कुछ सालों से अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा संचालित शिक्षण संस्थान भ्रष्टाचार के अड्डे बन गए हैं।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने हाल ही में करोड़ों रुपये की छात्रवृत्ति में घोटाले का पर्दाफाश किया है। हालात कितने बदतर हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के सौ जिलों में हुए जांच में कुल 1572 संस्थानों की जांच की गई जिसमें 830 संस्थान फर्जी पाए गए। इन फर्जी संस्थानों के माध्यम से फर्जी छात्र-छात्राओं को दिखाकर छात्रवृत्तियां हड़प ली गई। कुछ जांची गई संस्थाओं में से 53 प्रतिशत अल्पसंख्यक संस्थान या तो मौके पर पाए ही नहीं गए या फिर वे बहुत पहले से ही बंद कर दिए गए। इन फर्जी संस्थाओं में सैकड़ों छात्र-छात्राओं को अध्ययनरत बताकर उनके नाम पर गड़बड़ी की गई और करोड़ों रुपये हजम कर लिए गए। जिन राज्यों में सबसे ज्यादा फर्जी अल्पसंख्यक संस्थान पाए गए हैं, उनमें असम, झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, पंजाब और कर्नाटक शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ की 62 संस्थाएं ऐसी हैं जो छात्रवृत्ति के नाम पर पैसा वसूलने के बाद गायब हो गई हैं। राजस्थान के 128 में से 99 अल्पसंख्यक संस्थाएं फर्जी पाई गई हैं। फर्जी अल्पसंख्यक संस्थाओं का प्रतिशत राजस्थान में 68 प्रतिशत है। इसी तरह कर्नाटक में 64 प्रतिशत, उत्तराखंड में 60 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 40 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 39 प्रतिशत संस्थाएं फर्जी पाई गई हैं। देश के सौ जिलों में संचालित अल्पसंख्यक संस्थाओं में फर्जीवाड़ा मिलने के बाद अब केंद्र सरकार ने पूरे देश में इसकी जांच करवाने का फैसला लिया है।
छात्रवृत्ति के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले कई गिरोह चल रहे हैं जो सरकारी नियमों की कुछ कमियों का फायदा उठाकर सरकार को आर्थिक चोट पहुंचाने में कामयाब हो जाते हैं। मिली जानकारी के अनुसार, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय से मौजूदा समय में 1.80 लाख संस्थान जुड़े हैं। अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति ईरानी ने पिछले महीने ही अल्पसंख्यक संस्थाओं की जांच के आदेश दिए थे। इस आदेश पर कितना अमल हुआ, अभी तक इसकी कोई जानकारी हासिल नहीं हुई है। छात्रवृत्ति के नाम पर फर्जीवाड़ा चिंताजनक है।
संजय मग्गू