आलस्य के चलते सब कुछ गंवा बैठा किसान
अशोक मिश्र
आलस्य एक ऐसा अवगुण है जो मनुष्य को कर्महीन बना देता है। आलस्य के चलते व्यक्ति न केवल अपने समाज में हेयदृष्टि से देखा जाता है, बल्कि उसकी संपदा का भी ह्रास होता है। कितनी भी दौलत हो, अगर वह किसी आलसी व्यक्ति को सौंप दी जाए, तो एक दिन वह कंगाल हो जाता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी आलस्य को व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन बताया गया है। आलस्य को कोढ़ की संज्ञा दी गई है। जिससे छुटकारा मिलना बहुत मुश्किल होता है। एक किसान की हालत ऐसी ही थी। उस किसान को पैतृक संपत्ति के रूप में काफी धन मिला। संपत्ति मिलने से पहले काफी मेहनती रहा किसान अब अपना समय फालतू लोगों से बातचीत करने में, आमोद प्रमोद करने में गुजारने लगा। देखते ही देखते उसका धन कुछ ही दिनों में खत्म हो गया क्योंकि उसके रिश्तेदार उसके घर से गाहे बगाहे सामान चोरी करने लगे। नौकरों-चाकरों ने काम करना बंद कर दिया। खेत में उपज भी काफी कम हो गई। एक दिन उस किसान का मित्र उसके घर आया और घर की दशा देखी, तो उसे बहुत दुख हुआ। उसने अपने किसान मित्र से कहा कि वह एक ऐसे संत को जानता है जो उसे अमीर होने का नुस्खा बता सकते हैं। दोनों एक संत के पास पहुंचे, तो संत ने कहा कि सुबह सफेद नीलकंठ बहुत कम समय केलिए दिखाई देता है। यदि तुम सुबह उठो और दर्शन कर लो, तो धन की प्राप्ति होगी। अगले दिन से वह सुबह उठने लगा। उसने देखा कि उसके रिश्तेदार अनाज उठाकर अपने घर ले जा रहे हैं। नौकर-चाकर देर तक सोते रहते हैं। सफेद नीलकंठ के चक्कर में जब किसान रोज सुबह उठकर घूमने लगा, तो रिश्तेदारों ने चोरी बंद कर दी। नौकर ठीक से काम करने लगे। अब किसान की समझ में सब कुछ आ गया था।
अशोक मिश्र