Monday, December 23, 2024
14.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiहिंदी और भारतीय संस्कृति का वैश्विक सम्मान

हिंदी और भारतीय संस्कृति का वैश्विक सम्मान

Google News
Google News

- Advertisement -

किसी भी राष्ट्र की जीवंतता और पहचान उसकी भाषा और संस्कृति है। इसके बिना राष्ट्र रूपी शरीर का अस्तित्व, चिंतन और दर्शन सभी कुछ बेमानी है। राष्ट्र के नागरिक निज भाषा से संस्कारित होकर ही अपने मूल्यों, विचारों, आदर्शों और प्रतिमानों को जीते हैं। कहा भी जाता है कि राष्ट्र के विचारों को गढ़ने-बुनने, संजोने-संवारने और उसे प्राणवान बनाने में भाषा की अहम भूमिका होती है। हिंदी भाषा उन्हीं भाषाओं में से एक है जो भारत की कालजयी सभ्यता-संस्कृति, आचार-विचार, विज्ञान-दर्शन और इतिहास को आलोकित-प्रकाशित करती है।

बदलते वैश्विक परिदृश्य में जहां एक ओर भाषाएं दम तोड़ रही हैं वहीं हिंदी भाषा अपनी स्वीकार्यता और प्रासंगिकता का लोहा मनवा रही है। आज समूचे विश्व में हिंदी भाषा की गूंज है। विश्व के अधिकांश देशों में हिंदी भाषा का सम्मान बढ़ रहा है। नतीजा, आज हिंदी भाषा न सिर्फ भारत राष्ट्र की भाषा भर है बल्कि समूचे विश्व के लोगों के सांस्कृतिक जुड़ाव, विचारों के आदान-प्रदान और विकास का जरिया बन रही है।

हिंदी भाषा के लिए गौरव का क्षण है कि आज दुनिया भर में बोली जाने वाली सभी भाषाओं में वह तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में शुमार है। वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण इथोनोलॉज के मुताबिक विश्व भर की 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में छह भारतीय भाषाएं हैं। इनमें हिंदी तीसरे स्थान पर है। आंकड़ों के लिहाज से देखें तो दुनिया भर में तकरीबन 61.5 करोड़ लोग हिंदी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इथोनोलॉज के आंकड़ों के मुताबिक अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या 113 करोड़ और चीनी भाषा मंडारिन की संख्या 112 करोड़ है। लेकिन जिस गति से हिंदी भाषा की स्वीकार्यता व लोकप्रियता आसमान छू रही है उससे साफ है कि आने वाले दिनों में हिंदी भाषा अंग्रेजी और मंडारिन भाषा को पछाड़कर शीर्ष स्थान पर विराजमान हो जाएगी। वैश्विक स्तर पर यूजर्स के लिहाज से 1952 में हिंदी भाषा पांचवें पायदान पर थी जो 1980 के दशक में चीनी और अंग्रेजी भाषा के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गयी। लेकिन विगत दशकों में विकासशील भारत के प्रति बढ़ते वैश्विक आर्थिक-व्यापारिक आकर्षण ने सभी के लिए हिंदी भाषा को बोलने-समझने की अनिवार्यता सुनिश्चित कर दी। गौर करें तो एक भाषा के तौर पर हिंदी का जितना अधिक अंतर्राष्ट्रीय विकास हुआ है, विश्व में शायद ही किसी अन्य भाषा का उतना हुआ हो।

वे सभी संस्थाएं, सरकारी मशीनरी और छोटे-बड़े समूह बधाई के पात्र हैं, जिन्होंने हिंदी को इस ऊंचाई पर पहुंचाया है। आज हिंदी भाषी दुनिया के हर कोने में फैले हुए हैं। वहीं बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने व्यवसाय के विस्तार के लिए अपने कर्मचारियों को हिंदी सीखने का बढ़ावा दे रही हैं। गौर करें तो आज दुनिया के तकरीबन 40 से अधिक देशों के 600 से अधिक विश्वविद्यालयों और स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई हो रही है।

लैंग्वेज यूज इन यूनाइटेड स्टेट्स-2011 की रिपोर्ट से भी उद्घाटित हो चुका है कि अमेरिका में बोली जाने वाली टॉप दस भाषाओं में हिंदी है। इसे बोलने वालों की संख्या 6.5 लाख से अधिक है। अमेरिकी कम्युनिटी सर्वे की रिपोर्ट बताती है अमेरिका में हिंदी 105 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ रही है। अमेरिका के अलावा यूरोपिय देशों में भी हिंदी का तेजी से विकास हो रहा है। इंग्लैण्ड के लंदन, कैम्ब्रिज और यार्क विश्वविद्यालयों में जर्मनी के हीडलबर्ग, लोअर सेक्सोनी के लाइपजिंग, बर्लिन के हम्बोलडिट और बॉन विश्वविद्यालय में भी हिंदी भाषा को पाठ्यक्रम के रुप में शामिल किया गया है। एक दशक से रुस के कई विश्वविद्यालयों में हिंदी साहित्य पर शोध हो रहे हैं।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

-अरविंद जयतिलक

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

नौकरी नहीं है तो क्या, पांच किलो अनाज तो मिलता है

संजय मग्गूहमारे देश की अर्थव्यवस्था में मांग लगातार घट रही है। मांग में गिरावट का कारण लोगों की जेब में पैसे का न होना...

employment fair:प्रधानमंत्री मोदी कल 71,000 नियुक्ति पत्र वितरित करेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम(employment fair:) से केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में नई भर्तियों के तहत 71,000 से अधिक नियुक्ति...

surjewala pegasus:सुरजेवाला ने पेगासस मामले में उच्चतम न्यायालय से जांच की मांग की

कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला(surjewala pegasus:) ने रविवार को यह दावा किया कि अमेरिका में पेगासस स्पाइवेयर से संबंधित हालिया फैसले से यह साबित हो...

Recent Comments