देश रोज़ाना: स्कूलों को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि स्कूल ही बच्चों को एक सभ्य नागरिक बनाते हैं। बच्चे इन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने के बाद समाज में कैसा आचरण करना है, कैसे एक सभ्य नागरिक की तरह जीवन निर्वाह करना है, इसका ज्ञान प्राप्त करते हैं। समाज की पहचान उसमें रहने वाले लोगों से होती है। समाज जितना शिक्षित और सुसंस्कृत होगा, वह समाज उतना ही उन्नति करेगा। शिक्षित नागरिक समाज में फैली तमाम कुरीतियों का खात्मा कर सकते हैं। यही वजह है कि दुनिया भर में स्कूलों और अध्यापकों को सर्वोच्च स्थान हासिल है। हर समाज में गुरु और स्कूलों को बहुत आदर दिया जाता है।
जब इन शिक्षा के मंदिरों में सुविधाओं का अभाव हो, तो स्वाभाविक है कि यहां पढ़ने वाले लड़के-लड़कियों की शिक्षा प्रभावित होगी। वर्ष 2016 में कैथल जिले के बालू गांव के सरकारी स्कूलों के बच्चों ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी कि उनके सरकारी स्कूल में सुविधाओं की भारी कमी है। स्कूल में शौचालय, पीने के पानी और बिजली जैसी सुविधाएं नहीं हैं।
इस मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया और प्रदेश सरकार को राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं मुहैय्या कराने और इसके लिए बजट जारी करने के निर्देश दिए। हालांकि इस मामले को हल होने में लगभग छह-सात साल लग गए। कल ही पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बिजली, पानी, शौचालय सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के मामले में जो भी कमियां थीं, उसको दुरुस्त कर दिया गया है। प्रदेश में करीब साढ़े 14 हजार सरकारी स्कूल हैं। इनमें से लगभग 1800 स्कूलों में कई तरह की कमियां थीं। किसी में शौचालय नहीं था, तो किसी में बिजली की व्यवस्था नहीं थी। किसी में पेयजल की सुविधा नहीं हो पाई थी। कुछ स्कूलों में ये सारी सुविधाएं नहीं थी। प्रदेश के 131 स्कूलों में पेयजल सुविधा नहीं थीं।
1047 स्कूलों में लड़कों और 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय नहीं थे। यह भी पता चला था कि प्रदेश के 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं होने से छात्र-छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। कल प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में जो नया हलफनामा दाखिल किया है, उसमें इस बात की जानकारी दी गई है कि प्रदेश के स्कूलों में जो भी कमियां थीं, उन्हें दूर कर दिया गया है। पिछले हलफनामा में यह भी बात सामने आई थी कि शिक्षा विभाग को विभिन्न कार्यों के लिए समय-समय पर जारी किए गए बजट में से 10676 करोड़ रुपयों का उपयोग ही नहीं हुआ जिसका नतीजा यह हुआ कि यह रकम वापस चली गई।
– संजय मग्गू