संजय मग्गू
सुरक्षित स्कूल वाहन नीति मामले को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट काफी सख्त हो गया है। स्कूलों और सड़क पर बच्चों की सुरक्षा के मामले में उसने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है कि उन्होंने इस मामले में अब तक क्या किया? सड़क पर स्कूली बच्चों की सुरक्षा का मुद्दा एक बड़ा मुद्दा है। यह हमारी भावी पीढ़ी से जुड़ा है। इस मामले में लापरवाही का मतलब है, अपनी भावी पीढ़ी के जीवन से खिलवाड़ करना। इसी साल अप्रैल महीने में महेंद्रगढ़ के कनीना में स्कूली बस पलटने से जब छह बच्चों की मौत हुई थी, तब भी हाईकोर्ट ने इस मामले में तीखी टिप्पणी की थी। कनीना में हुए बस हादसे में पता चला था कि स्कूल प्रबंधन ने एक तो ईद के दिन भी स्कूल खोला था और वहीं बस का ड्राइवर शराब के नशे में धुत था। उससे चला नहीं जा रहा था और इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन ने ड्राइवर को बस चलाने की इजाजत दी थी। प्रदेश में आए दिन स्कूल बस से जुड़े हादसे होते रहते हैं। कभी ड्राइवर की लापरवाही होती है, तो कभी स्कूल प्रबंधन की। स्कूल प्रबंधन बसों में बच्चों को गाय-बैल की तरह ठूंस कर लाते-ले जाते हैं, इसके बावजूद अभिभावक इस पर कोई आपत्ति नहीं जताते हैं। जब कोई हादसा हो जाता है, तो हायतौबा मचाते हैं। कुछ दिन विरोध प्रदर्शन के बाद फिर शांति छा जाती है और सब कुछ पहले जैसा चलने लगता है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने यही वजह है कि सुरक्षित स्कूल वाहन नीति का पालन सख्ती से करने का निर्देश दिया है। नियम के मुताबिक स्कूल के हर हिस्से में सीसीटीवी कैमरा लगा होना चाहिए। बसों और अन्य स्कूली वाहनों की समय-समय पर फिटनेस जांच होनी चाहिए। वाहनों में स्पीड गवर्नर और हाईड्रोलिक दरवाजों के प्रावधान पर ध्यान देने की जरूरत है। यदि इन नियमों का पालन सरकार सरकारी और निजी स्कूलों में सख्ती से करवाए, तो स्कूली बसों से होने वाले हादसों में निस्संदेह कमी आएगी। अक्सर देखा गया है कि स्कूली बस ड्राइवर शराब पीकर वाहन चलाते हैं। ऐसे ड्राइवरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। स्कूल प्रबंधन को भी ऐसे ड्राइवरों की भर्ती नहीं करनी चाहिए, जो शराब पीकर वाहन चलाने के आदी हों। वैसे भी हरियाणा में सड़क हादसे घटने का नाम नहीं ले रहे हैं। प्रदेश में वर्ष 2021 में 10,049 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं। वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 10,654 तक पहुंचा। वर्ष 2021 में सड़क हादसे में 4,983 लोगों की मौत हुई, जबकि वर्ष 2022 में 5,228 लोगों को जान गंवानी पड़ी। इस मामले में संबंधित विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए आगे आना होगा और स्कूल बसों की नियमित जांच करनी चाहिए। स्कूल वाहन में लापरवाही मिलने पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
संजय मग्गू