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हरियाणा कांग्रेस ने चुनाव हारकर भी नहीं सीखा सबक

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संजय मग्गू
हरियाणा कांग्रेस की राजनीति इन दिनों कुछ बदली-बदली सी नजर आ रही है। प्रदेश कांग्रेस के नेता हार के कारणों की अपने-अपने नजरिये से समीक्षा कर रहे हैं। हर कोई हार का ठीकरा दूसरे के सिर पर फोड़कर अपने सिर को बचाने की फिराक में है। वैसे तो अब हार की चर्चा भी लगभग न के बराबर हो रही है। हारने के बाद भी कांग्रेस नेताओं की अकड़ और आपसी प्रतिद्वंद्विता कम नहीं हुई है। गुटों में बंटी कांग्रेस से अब किसी तरह की एकता की उम्मीद करना भी बेमानी है। अहम और गुटबाजी इस कदर हावी है कि उन्हें गर्त में जाती हुई पार्टी नहीं दिखाई दे रही है। इन दिनों हरियाणा की राजनीति में चर्चा इस बात की हो रही है कि पिछले काफी दिनों से हुड्डा गुट में नजर आने वाली जुलाना की विधायक और पूर्व महिला खिलाड़ी विनीता फोगाट और पूर्व पहलवान बजरंग पुनिया इन कुमारी सैलजा के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। इसके कारणों की तलाश की जा रही है। 22 अक्टूबर को दिल्ली में जब बजरंग पुनिया ने आल इंडिया किसान कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष का पदभार संभाला, तो सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा और उनके समर्थक मौजूद रहे। हुड्डा गुट का कोई भी नेता या समर्थक वहां मौजूद नहीं था। इसके यह भी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं कि निकट भविष्य शायद कांग्रेस हाई कमान ने कुमारी सैलजा को कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का फैसला किया है और इसका संकेत कुमारी सैलजा को भी दे दिया गया है। यही वजह है कि अब कुमारी सैलजा सक्रिय हो गई हैं। राजनीतिक हलके में ताज्जुब इस बात का है कि जिस बजरंग पुनिया और विनीता फोगाट को कांग्रेस में लाने की तमाम कोशिश हुड्डा गुट ने की। जब फोगाट और पुनिया महिला पहलवानों के यौन शोषण के मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे थे, तब हरियाणा कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। जब विनीता फोगाट पेरिस ओलंपिक में सौ ग्राम वजन बढ़ने के कारण डिसक्वालीफाई कर दी गईं और स्वदेश लौंटी तो उनका एयरपोर्ट पर स्वागत करने वाले दीपेंद्र हुड्डा थे। ऐसी स्थिति में जब बजरंग पुनिया ने किसान कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष का पद संभाला, तो हुड्डा गुट वहां मौजूद क्यों नहीं था? यह तो तय है कि निकट भविष्य में कांग्रेस में एक बड़ा बदलाव होने वाला है। अभी महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव की सरगर्मी के चलते हाईकमान हरियाणा कांग्रेस पर ध्यान न दे पा रहा हो, लेकिन जैसे ही इससे मुक्ति मिलेगी, हरियाणा में बदलाव होगा। वैसे भी अभी हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को लेकर हुड्डा और सैलजा गुट में खींचतान होनी है। इस मामले में किसकी जीत होती है, यह भी देखना काफी दिलचस्प होगा।

संजय मग्गू

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