संजय मग्गू
किसी भी बच्चे के लिए सबसे पवित्र स्थान उसका स्कूल ही होता है। इन स्कूलों में बच्चे के भविष्य का निर्माण होता है। बच्चा स्कूल में शिक्षा हासिल करके देश और समाज का एक सभ्य नागरिक बनता है। इसके लिए जरूरी है कि स्कूल समस्त संसाधनों से परिपूर्ण हों। शिक्षक योग्य और अपने काम यानी अध्यापन में रुचि रखने वाले हों। लेकिन इन दिनों हरियाणा में एक चिंताजनक स्थिति देखने को मिल रही है। प्रदेश के 81 स्कूलों में पिछले साल यानी 2023-24 के सेशन से एक भी छात्र-छात्रा नहीं है। इतना ही नहीं, इन 81 स्कूलों में 178 शिक्षक नियुक्त हैं। जाहिर सी बात है कि यह सभी शिक्षक बिना किसी को पढ़ाए अपना वेतन उठा रहे हैं। होना तो यह चाहिए था कि जब इन स्कूलों में कोई विद्यार्थी नहीं था, तो यह प्रशासन से अनुरोध करते कि उन्हें उन स्कूलों में ट्रांसफर कर दिया जाए जहां अध्यापक ही नहीं हैं या फिर कम अध्यापक हैं। कम से कम उन विद्यार्थियों को इन अध्यापकों की योग्यता का लाभ मिलता, जहां बच्चे तो हैं, लेकिन अध्यापक नहीं। यूनीफाइड डिस्ट्रिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन की रिपोर्ट से जाहिर हुआ कि प्रदेश के 867 स्कूलों में एक अध्यापक ही तैनात हैं। हालांकि 2022-23 में पूरे प्रदेश के 991 स्कूलों में एक ही अध्यापक तैनात थे। इन स्कूलों में अध्यापक बच्चों को क्या और कैसे पढ़ाते होंगे, इसकी कल्पना की जा सकती है। इन स्कूलों में दाखिला लेने वाले 40,828 बच्चों का भविष्य 867 अध्यापकों के जिम्मे है। यह इन चालीस हजार से अधिक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं तो और क्या है? प्रदेश में कुल 23,517 सरकारी स्कूल हैं। इन स्कूलों में 2,50,909 शिक्षक तैनात किए गए हैं जो 55,99,742 विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। सबसे खराब बात तो यह है कि 599 में लड़कियों के लिए शौचालय ही नहीं है। ऐसी स्थिति में लड़कियों को कितनी परेशानी का सामना करना पड़ता होगा, इसको समझा जा सकता है। लड़कियों के ड्राप आउट का यह सबसे बड़ा कारण भी हो सकता है। प्रदेश के 2198 सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए खेल का मैदान ही नहीं है। ऐसी स्थिति में इन स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की बात करना ही बेमानी है। प्रदेश के 22,938 सरकारी स्कूलों में लाइब्रेरी है, जबकि 579 स्कूलों में लाइब्रेरी ही नहीं है। जिन स्कूलों में लाइब्रेरी है, उन स्कूलों के कितने विद्यार्थी इस सुविधा का लाभ उठाते हैं, यह भी एक शोध का विषय है। लाइब्रेरी में जाकर पढ़ने के लिए कितने शिक्षक विद्यार्थियों को प्रेरित करते होंगे, यह भी विचारणीय है। प्रदेश सरकार को इस बारे में थोड़ा ध्यान देना चाहिए। आज के बच्चे कल के नागरिक हैं। इन नागरिकों की पढ़ाई पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
कहीं शिक्षक हैं तो विद्यार्थी नहीं कहीं विद्यार्थी हैं तो शिक्षक नहीं
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