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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षा देने की तैयारी में सैनी सरकार

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संजय मग्गू
शिक्षा देश-प्रदेश के नौनिहालों को एक सभ्य नागरिक बनाने और उन्हें भावी जीवन में आजीविका कमाने के योग्य बनाती है। शिक्षा बच्चे के भीतर छिपे गुणों को निखारकर योग्य बनाती है। इसमें शिक्षक की बहुत बड़ी भूमिका होती है। योग्य शिक्षक अपने छात्र-छात्राओं को अपनी अध्यापन शैली से तराश-निखारकर उन्हें समाज में एक सम्मानित जीवन जीने लायक बनाती है। हरियाणा सरकार ने भी अब पूरी शिक्षा व्यवस्था बदलने का मन बना लिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुताबिक अब प्रदेश में छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जाएगी। इसके लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने संबंधित अधिकारियों को छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का सख्त आदेश दिया है। इसके लिए जरूरी है कि अध्यापकों को भी नई शिक्षा नीति के अनुरूप पढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए। इससे पहले प्रदेश सरकार को जिन स्कूल-कालेजों में पूरे अधयापक नहीं हैं, वहां अध्यापकों की कमी को पूरा करना होगा। कुछ स्कूलों में अध्यापक तो हैं, लेकिन वहां एक भी छात्र नहीं हैं। ऐसी स्थिति में जहां जरूरत से ज्यादा अध्यापक-अध्यापिकाएं हैं, उन्हें तत्काल कम टीचर्स वाले स्कूलों में भेजा जाए। हालांकि सीएम सैनी ने प्रदेश के स्कूलों में अध्यापकों की कमी से इनकार किया है। कम अध्यापक और ज्यादा बच्चे या शिक्षकों के होते हुए विद्यार्थियों का न होना जैसी विसंगतियों को दूर करने के लिए उन्होंने अधिकारियों को तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है। संबंधित अदिकारियों को रेशनेलाइजेशन की योजना तैयार करने का आदेश दे दिया गया है और इसे जल्दी से जल्दी लागू करने की व्यवस्था करने को कहा गया है। प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में पिछले कुछ सालों से छात्र-छात्राओं की घटती संख्या को लेकर भी चिंतित है। इसके लिए जरूरी यह है कि सरकारी स्कूलों की खराब छवि को सुधारने का प्रयास किया जाए। अभिभावकों को यह विश्वास दिलाने का भरसक प्रयत्न किया जाए कि सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों से बेहतर शिक्षा प्रदान की जा रही है। इसके लिए अध्यापकों को भी अपने स्तर पर प्रयास करने होंगे। इसके लिए स्कूलों में शौचालय, खेल मैदान, स्वच्छता और लाइब्रेरी जैसी सुविधाओं का होना बहुत जरूरी है। बच्चों को ऊर्जावान बनाने और सर्वांगीण विकास के लिए उनका समय-समय पर खेलना-कूदना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए बच्चों की संख्या के मुताबिक खेल का मैदान होना अनिवार्य है। बच्चों की रुचि के मुताबिक उनके खेलने के सामान भी होने चाहिए। सैनी सरकार ने जिस तरह कदम उठाने शुरू किए हैं, उससे प्रतीत होता है कि जल्दी ही प्रदेश के स्कूलों की दशा और दिशा में आमूलचूल बदलाव आने वाला है।

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