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विकराल होती जा रही है हरियाणा में कूड़ा निस्तारण की समस्या

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संजय मग्गू
कचरा निस्तारण की समस्या पूरी दुनिया के सामने है। दुनिया भर में लाखों टन कचरा हर साल निकलता है। इसमें से सिर्फ 25-30 प्रतिशत कचरे का ही निस्तारण हो पाता है। लगभग यही स्थिति हरियाणा की है। स्वच्छता के मामले में हरियाणा काफी पिछड़ रहा है। पिछली बार स्वच्छता रैंकिंग के मामले में हरियाणा का नंबर चौदहवां था, जबकि इससे एक साल पहले उसका स्थान पांचवां था। सन 2022 में  एक  लाख से अधिक आबादी वाले टॉप सौ शहरों में हरियाणा के छह शहर शामिल थे। लेकिन इसके बाद स्वाभाविक है कि हरियाणा अपनी रैंकिंग को सुरक्षित नहीं रख पाया और पांचवें रैंक से फिसलकर चौदहवें स्थान पर पहुंच गया। इस साल उसकी रैंकिंग क्या रहती है, यह भविष्य बताएगा। एक सप्ताह या दस दिन बाद नई रैंकिंग जारी होने वाली है। हरियाणा के सामने सबसे बड़ी समस्या कूड़ा निस्तारण की है। प्रदेश के लगभग सभी जिलों में कूड़े के पहाड़ खड़े हो रहे हैं। प्रदेश में कूड़े के निस्तारण और डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की स्थिति में पिछले साल की अपेक्षा ज्यादा सुधार नहीं दिखाई दे रहा है। कहने को तो प्रदेश के सभी जिलों में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन किया जा रहा है, लेकिन सौ फीसदी कूड़ा कलेक्शन की बात कहना, बेमानी होगा। प्रदेश के लगभग हर जिलों में दो-चार कालोनियों को प्रदेश सरकार ने नियमित किया है। एक अनुमान के मुताबिक पिछले दो साल में एक हजार से ज्यादा कालोनियों को प्रदेश सरकार ने नियमित किया है। लेकिन सफाई व्यवस्था और कूड़ा कलेक्शन इन कालोनियों में आज भी भगवान भरोसे है। सफाई और कूड़ा कलेक्शन के मामले में यह कालोनियां पहले की ही तरह हैं। इन कालोनियों के निवासी अपने आसपास के खाली मैदान या प्लाट में ही कूड़ा फेंककर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं। कूड़ा फेंकने के लिए भी रात का समय चुना जाता है ताकि आसपास के लोग देख न पाएं। शहरों में जगह-जगह कूड़ा फेंकने के लिए निर्धारित की गई जगहों से भी कूड़ा कई दिनों बाद ही उठाया जाता है जिसकी वजह से हवा चलने पर यह कूड़ा बिखर जाता है। सन 2022 में प्रदेश सरकार ने फैसला किया था कि राज्य के सभी जिलों को 13 क्लस्टरों में बांटकर एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना शुरू की जाए, लेकिन यह योजना सिरे नहीं चढ़ सकी। यदि यह योजना शुरू हो गई होती तो करनाल, भिवानी और सिरसा में कचरा निस्तारण प्लांट अब तक शुरू हो गए होते। इन तीन शहरों में 27 स्थानीय निकायों को शामिल किया जाना था। योजना शुरू न होने के कारण जमीन का उपलब्ध न हो पाना बताया गया था। यह योजना अब भी तैयार की जा सकती है। बस, प्रदेश सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।

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