संजय मग्गू
सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा पशु कई बार संकट का कारण बन जाते हैं। सड़कों पर घूमने वाले इन जानवरों की वजह से आए दिन होने वाले हादसों की खबरें तो आम हो गई हैं। कई बार दो पशु आपस में लड़ने लगते हैं, तो सड़क पर चलने वाले कई लोग चोटिल हो जाते हैं। ऐसा भी देखने में आया है कि कुछ लोगों की मौत तक हो गई है। प्रदेश में हालत तो यहां तक आ पहुंची है कि बेसहारा घूमने वाले पशु खुद सुरक्षित नहीं हैं और इनके चलते सड़क पर आने-जाने वाले लोग भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं। यह बेसहारा जानवर अपनी भूख मिटाने के लिए कुछ भी खा लेते हैं। प्लास्टिक की थैलियां तक इनकी पेट में पाई गई हैं। ऐसी स्थिति से निजात पाने के लिए सैनी सरकार ने तीन महीने में सड़कों को बेसहारा पशुविहीन करने की योजना बनाई है। इसके लिए सैनी सरकार ने फंड की भी अच्छी खासी व्यवस्था की है। पूरे प्रदेश की सड़कों को बेसहारा पशुओं से मुक्त करने के लिए चार सौ करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सीएम सैनी ने यह भी घोषणा की है कि अगले साल इस मद में 510 करोड़ कर दिया जाएगा। सड़कों पर घूमते पशुओं को गोशालाओं में भेजकर उनके खाने-पीने और बीमार पड़ने पर दवाओं की व्यवस्था की जाएगी। वैसे यह बात भी सही है कि गोशालाओं में जानवरों की उतनी देखभाल नहीं होती है जितनी कि होनी चाहिए। ऐसा सभी गोशालाओं में होता है, ऐसा भी नहीं है। सरकार ने सड़कों पर घूमने वाले पशुओं की टैगिंग की व्यवस्था की है। प्रदेश सरकार एक हजार गायों वाली गोशालाओं को एक ई-रिक्शा या इससे अधिक गायों वाली गोशालाओं को दो ई-रिक्शा भी प्रदान करने जा रही है। इसके मद में सवा लाख रुपये तक भी प्रदान किया जा सकता है। इतना ही नहीं, सरकार ने गोशालाओं को कई मामलों में छूट प्रदान करने का भी फैसला किया है। अगर किसी गोशाला को जमीन दान में मिलती है या वह रजिस्ट्री कराता है, तो उस पर सरकार कोई टैक्स नहीं वसूलेगी। गोशाला में ट्यूबवेल लगाने के लिए भी बिजली विभाग या सिंचाई विभाग से परमिशन लेने की जरूरत नहीं होगी। यदि कोई गोशाला सड़कों पर बेसहारा पशु खोजकर लाते हैं, तो ऐसी गोशालाओं को पुरस्कार भी देगी। बछड़ा-बछड़ी लाने पर तीन सौ रुपये, गाय लाने पर छह सौ रुपे और बैल लाने पर आठ सौ रुपये पुरस्कार स्वरूप उन्हें प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार नकद के रूप में होगा। सैनी सरकार की सड़कों को बेसहारा पशुओं से मुक्ति दिलाने की यह योजना वाकई बहुत अच्छी है। लेकिन यह तभी पूरी हो सकती है, जब स्थानीय सरकारी संस्थाएं, गोशालाएं और स्थानीय लोग इसमें अपनी भागीदारी निभाएं। बिना सबका सहयोग लिए यह योजना कितनी सफल होगी, कहा नहीं जा सकता है।
संजय मग्गू