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हेड मास्टर ने राजेंद्र प्रसाद की प्रतिभा पहचानी
अशोक मिश्र

डॉ. राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे। वह बचपन से ही कुशाग्र और कक्षा में अव्वल आने वाले छात्रों में थे। उन्हें पाठ बड़ी जल्दी याद हो जाते थे और भूलते भी नहीं थे। कहा तो यह भी जाता है कि वह एक बार जिससे मिल लेते थे, तो वह कई साल बाद भी अगर दोबारा मिलते थे, तो उसे नाम से पुकारते थे। वह कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार किए जाते हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने के साथ-साथ वह एक प्रसिद्ध वकील भी थे। उन्होंने वकालत के पेशे में पैसा कमाने की जगह हमेशा गरीबों की मदद करने को प्राथमिकता दी। वह बेईमानी करने वालों का मुकदमा कभी नहीं लड़ते थे। बात तब की है, जब वह छपरा के जिला स्कूल में छठवीं कक्षा के छात्र थे। छठवीं की परीक्षा हो चुकी थी। सबका रिजल्ट बांटा जा रहा था। उन दिनों छात्रों को सिर्फ इतना बताया जाता था कि पास या फेल। जब राजेंद्र प्रसाद का नंबर आया, तो अध्यापक ने कहा कि जाकर हेडमास्टर से मिल लो। वह घबरा गए क्योंकि हेड मास्टर के पास उसी छात्र को भेजा जाता था जिसने कोई शरारत की हो या कोई गलती की हो। घबराए हुए से राजेंद्र प्रसाद हेड मास्टर के पास पहुंचे, तो उन्होंने कहा कि आगे से तुम आठवीं कक्षा में पढ़ोगे। यह सुनकर राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है। इसके बारे में मुझे अपने बड़े भाई से पूछना पड़ेगा। एक कक्षा लांघने की बात सुनकर बड़ा भाई भी हेड मास्टर के पास पहुंचा और कहा कि एक कक्षा लांघने से राजेंद्र की पढ़ाई को नुकसान हो सकता है। वह परीक्षा में फेल भी हो सकता है। ऐसा करना कहां तक उचित है। यह सुनकर हेड मास्टर ने कहा कि मैं आप से ज्यादा अच्छी तरह से राजेंद्र को जानता हूं। इसके बाद राजेंद्र प्रसाद ने आठवीं में अच्छे नंबरों से पास किया। इस घटना को बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपनी जीवनी में भी दर्ज किया।

अशोक मिश्र

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