हेनरी फोर्ड का जन्म 30 जुलाई 1863 को स्प्रिंगवेल्स टाउनशिप मिशिगन के एक फार्महाउस में हुआ था। बारह साल की उम्र में उनके पिता ने उन्हें एक पाकेट घड़ी दी थी। वह अपनी घड़ी को बार-बार खोलते और उसकी कार्यप्रणाली देखते। धीरे-धीरे उन्होंने घड़ियों को दुरुस्त करने में सफलता हासिल कर ली। 15 साल की उम्र में उन्होंने अपने न जाने कितने मित्रों और पड़ोसियों की घड़ियां तोड़ी और उन्हें जोड़ी। वह इतनी कम उम्र में ही घड़ी म्ौकेनिक के रूप में ख्याति प्राप्त कर ली। बाद में वह अपना घर छोड़कर डेट्राइट में ट्रेनी मशीनिस्ट के रूप में काम करने लगे।
1892 में फोर्ड ने अपनी पहली मोटर कार बनाई। बाद में वह अमेरिका के बहुत बड़े उद्योगपति हो गए। भारत में रहने वाले एक उद्योगपित ने सोचा कि अमेरिका में फोर्ड से मिलकर वह कारों के बारे में जानकारी हासिल लूं, फिर भारत में कार कारखाना खोलूं। वह अमेरिका पहुंचे और उन्होंने फोर्ड से मिलने का समय मांगा। उन्हें शाम को मिलने का समय दिया गया। शाम को जब वह हेनरी फोर्ड के आवास पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि एक आदमी अपने जूठे बरतन धो रहा है। भारतीय उद्योगपति ने अपना नाम बताते हुए हेनरी फोर्ड से मिलने की इच्छा जाहिर की।
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उस आदमी ने अपने बरतन धोते हुए कहा कि आप बैठिए, मैं ही हेनरी हूं। बर्तन धो लूं फिर आपसे बात करता हूं। जब बातचीत शुरू हुई, तो भारतीय उद्योगपति ने आखिर पूछ ही लिया कि आप अपने जूठे बर्तन क्यों धो रहे थे? यह काम तो आपके नौकर कर देते। फोर्ड ने कहा कि वह अपना काम बचपन से करते आए हैं। वह कठोर परिश्रम करके यहां तक पहुंचे हैं। भारतीय उद्योगपति यह सुनकर आश्चर्य चकित रह गया। उसने फोर्ड को मन ही मन नमन किया और तमाम गुर सीखे।
-अशोक मिश्र
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