भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी की भारत न्याय यात्रा क्या कोई सियासी इतिहास बना सकेगी? यह सवाल इसलिए भी है कि सूर्य जब उत्तरायण की ओर होगा, तब राहुल गांधी मणिपुर से भारत न्याय यात्रा की शुरुआत करेंगे। उस मणिपुर से जो हिंसा के डंडे में केवल लहूलुहान ही नहीं हुआ बल्कि, उसकी आबरू भी तार-तार होने के बाद भी सदन में न प्रधान मंत्री मोदी कुछ बोले और न ही गृह मंत्री अमित शाह। जाहिर सी बात है कि राहुल गांधी भारत न्याय यात्रा में अपने साथ कई सवाल और मुद्दों को लेकर भी चलेंगे। वैसे प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जब चुनाव प्रचार में नहीं होते हैं, तब वो सरकारी कार्यक्रमों में होते हैं। और पार्टी का ही प्रचार करते नजर आते हैं।
राहुल की भारत न्याय यात्रा उन राज्यों से निकलेगी, जहां क्षत्रपों की अपनी सियासत है। मणिपुर से मुंबई तक 6200 किलोमीटर की यात्रा कहीं पैदल और कहीं बस से करेंगे। भारत न्याय यात्रा 14 राज्यों से यानी 85 जिले और 98 लोकसभा से होकर गुजरेगी। इन राज्यों के तहत लोकसभा की कुल 355 सीटें आती हैं। ये वो राज्य हैं, जहां कांग्रेस का पिछले दो चुनावों में प्रदर्शन बेहद ही खराब रहा।
2019 के चुनाव में कांग्रेस 355 सीटों में केवल 14 सीट पाई थी। इस समय बीजेपी के पास 236 सीटें हैं। अब सियासी परिदृश्य बदल गया है। एक तरफ भारत न्याय यात्रा होगी, दूसरी तरफ मोदी की गारंटी। सन 2019 के चुनाव में बीजेपी के समक्ष चुनौतियां कम थीं, उस वक्त इंडिया गठबंधन नहीं था। इंडिया गठबंधन यानी 28 दलों को मिलने वाला वोट 67 फीसदी है और बीजेपी 37.76 फीसदी वोट पाकर 193 सीटें पाई। जबकि एनडीए का संयुक्त वोट 603.7 मिलियन था यानी 45 फीसदी वोट पाकर कुल 303 सीटें पाई।
कांग्रेस 11 करोड़ 94 लाख वोट पाकर सिर्फ 52 सीटें पाई। कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 92 सीटें जीती थीं। राहुल की भारत न्याय यात्रा से कांग्रेस का दस फीसदी भी वोट बढ़ता है, तो सदन में विपक्ष का नेता होने की हैसियत हो सकती है। भारत न्याय यात्रा कांग्रेस की यात्रा है। इंडिया गठबंधन की नहीं।
ऐसे में इडिया गठबंधन के 28 दलों के राज्य में भारत न्याय यात्रा पहुंचेगी,तब उसकी आगवानी करते हैं या नहीं, इस पर विपक्ष की नजर रहेगी। यदि ऐसा होता है, तो यह मैसेज जाएगा कि भारत न्याय यात्रा अकेले कांग्रेस की नहीं, बल्कि इंडिया गठबंधन की है। जनता में राहुल गांधी मणिपुर से लेकर मुंबई तक के तमाम राज्यों के सवालों को अपनी यात्रा में शामिल कर उन्हें मुद्दा बनाकर चलेंगे,तब बीजेपी की सियासी परेशानी बढ़ सकती है। 146 सांसदों के निलंबन, अडानी के सवाल, बेरोजगारी, महंगाई और देश की आर्थिक स्थिति के मुद्दे होंगे ही, किसानों की भी बात होगी।
भारत जोड़ो यात्रा सात सितम्बर 2022 से 29 जनवरी 2023 तक थी। जबकि भारत न्याय यात्रा 14 जनवरी से 20 मार्च 2024 तक। भारत न्याय यात्रा की वजह यह है कि कांग्रेस अपना वोट बैंक बढ़ाना चाहती है। कांग्रेस शासित राज्यो में न्याय स्कीम की शुरुआत भी संभव है। वहीं बीजेपी भारत संकल्प यात्रा गांव-गांव तक निकाल रही है। इसके पीछे मकसद है, मोदी की हैट्रिक सुनिश्चित करना और विकसित भारत के लाभार्थियों से संवाद कायम करना। इसके लिए 2500 कार्यक्रम के लिए वैन तैनात रहेंगे।
साथ ही विकसित भारत हेल्थ कैंप भी करीब 65300 आयोजित होंगे जिसमें महिला, युवा, किसान और करीब एक करोड़ गरीब लोगों को लाना। देश के 255000 पंचायतों तक पहुंचने का लक्ष्य है। साथ ही 2019 से दस फीसदी वोट बढ़ाना है। वहीं भारत न्याय यात्रा का मकसद है 85 जिलों से गुजर कर करीब 98.7 करोड़ लोगों का ध्यान आकर्षित करना। दोनों बड़ी पार्टियों का सियासी एजेंडा तय है।
सीटों को लेकर इंडिया गठबंधन में कोई बात नहीं हुई, जबकि बीजेपी जनवरी के अंत तक कुछ उम्मीदवार घोषित कर सकती है। राहुल की भारत न्याय यात्रा से यदि कांग्रेस नहीं सिमटती, जैसा कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस हार गयी तो उनकी राजनीति में अर्द्धविराम नहीं लगेगा। वैसे भी, इस बार 2024 के चुनाव में सिर्फ दो ही पार्टी की विचार धाराएं दिखेगी। एक बीजेपी की और दूसरी इंडिया गठबंधन की।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
-रमेश कुमार ‘रिपु’