तुम जैसे सिकंदर दुनिया में न जाने कितने आए
अशोक मिश्र
फारस यानी कि आधुनिक ईरान का था डेरियस। भारतीय इतिहास में इसे दारा के नाम से जाना जाता है। पूरी दुनिया में डाक प्रणाली शुरू करने का श्रेय इसी डेरियस यानी दारा को दिया जाता है। इसका साम्राज्य मिस्र से लेकर सिंधु नदी तक फैला हुआ था। दारा ने नील नदी से लेकर लाल सागर तक नहर बनवाई थी ताकि किसानों और उसके राज्य की प्रजा को पानी उपलब्ध होता रहे। इसने अपने साम्राज्य में चौड़ी-चौड़ी सड़कों का निर्माण कराया था। यह भारतीय राजाओं से टैक्स के रूप में सोना वसूलता था। लेकिन 331 ईसा पूर्व जब मकदूनिया के राजा सिकंदर ने फारस पर हमला किया, तो डेरियस बड़ी बहादुरी से लड़ा, लेकिन हार गया। सिकंदर ने बड़े गर्व के साथ दारा की राजधानी में प्रवेश किया। लोग उसके स्वागत में सड़कों दोनों तरफ खड़े थे। वह लोगों का अभिवादन स्वीकार करते हुए आगे बढ़ रहा था कि उसने देखा, फकीरों का एक झुंड निर्विकार भाव से खड़ा है। उसने सिकंदर को नमस्कार तक नहीं किया। इससे नाराज सिकंदर ने इन फकीरों को पकड़कर दरबार में पेश करने का आदेश दिया। सिकंदर ने कहा कि तुमने विश्व विजयी सिकंदर का अभिवादन क्यों नहीं किया। तब फकीरों में से एक ने कहा कि तुम और विश्व विजयी। तुम अपनी तृष्णा को नहीं जीत पाए, तो तुम दुनिया को कैसे जीत लोगे। अब तक दुनिया में तुम जैसे न जाने कितने सिकंदर पैदा हुए और इस मिट्टी में मिल गए। आज उनका कोई नाम लेने वाला नहीं है। तुम्हें किस बात का गर्व है। आज तुम हो, कल नहीं रहोगे। लेकिन हमें देखो, हमने तृष्णा को भी जीत रखा है। हम सब आध्यात्मिक दुनिया के बादशाह हैं। हम तुम्हें अभिवादन क्यों करें। यह सुनकर सिकंदर की आंखें खुल गई। उसने फकीरों को रिहा करने का आदेश दिया।
अशोक मिश्र