संजय मग्गू
हरियाणा में निकाय चुनाव के तारीखों की घोषणा के बाद सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। नायब सिंह सैनी को प्रदेश का दूसरी बार मुखिया बने तीन महीने से ज्यादा हो गए हैं। विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने जो वायदे किए थे, उनमें से कुछ पूरे भी कर दिए हैं। कुछ वायदे पूरे होने की प्रक्रिया में हैं। दूसरी बार भाजपा सरकार के गठन के बाद निकाय चुनाव के दौरान सीएम सैनी की पहली राजनीतिक परीक्षा होने जा रही है। सात नगर निगमों सहित 33 नगर पालिकाओं-नगर परिषदों में से यदि अधिकतर में भाजपा का कब्जा हो जाता है, तो हरियाणा की राजनीति में नायब सिंह सैनी की धाक और जम जाएगी। वह राजनीतिक हलके में अपनी पकड़ और मजबूत करने में सफल हो जाएंगे। वैसे भाजपा की कोशिश यही होगी कि वह फरीदाबाद, गुरुग्राम, मानेसर, हिसार, करनाल, रोहतक, यमुनानगर और पानीपत नगर निगमों पर कब्जा जमाने में सफल रहे। वैसे निकाय चुनावों में भाजपा को अधिकतम सफलता मिलने के आसार इसलिए बढ़ जाते हैं क्योंकि विधानसभा चुनावों के बाद से ही पार्टी ने निकाय चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी थीं। बिना किसी तरह का शोरशराबा किए चुपचाप पार्टी के नेता और कार्यकर्ता निकाय चुनावों के लिए लोगों से संपर्क कर रहे थे। इधर वरिष्ठ भाजपा नेता और मंत्री अनिल विज की सीएम सैनी से नाराजगी का मामला और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली पर दुष्कर्म का आरोप लगने से मामला बहुत मामूली गड़बड़ा रहा है। हालांकि मंत्री विज को मनाने में भाजपा लगभग सफल हो गई है। उन्हें निकाय चुनाव में स्टार प्रचारक बनाकर बची खुची नाराजगी भी दूर कर देगी। जहां तक बड़ौली मामले का सवाल है, वह शुरुआत से ही सियासी रंजिश का लग रहा है। निकाय चुनावों की तारीख घोषित होने के बाद कांग्रेस भी अब सक्रिय हो गई है। लेकिन कांग्रेस में जिस तरह गुटबाजी विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी खत्म नहीं हुई है, उससे निकाय चुनाव के भी उनके पक्ष में जाने की संभावना क्षीण होती नजर आ रही है। कांग्रेस के सामने निकाय चुनाव एक ऐसा मौका है जब वह अधिकतम निकाय चुनावों में सफलता हासिल करके अपने कार्यकर्ताओं की निराशा को दूर कर सकती है। अगर निकाय चुनावों में कांग्रेस को सफलता मिल जाती है, तो वह अपने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ा सकती है। यह भी सच है कि भाजपा और कांग्रेस के अलावा इनेलो, आम आदमी पार्टी, जजपा सहित अन्य क्षेत्रीय दल भी निकाय चुनाव में अपना भाग्य आजमाने के लिए उतरेंगे। निकाय चुनाव भी हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तरह ही लड़े जाते हैं क्योंकि नगर निगम अध्यक्ष का पद रुतबे में किसी विधायक से कम नहीं होता है।
निकाय चुनावों में मिली सफलता तो सीएम सैनी की निखरेगी छवि
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