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HomeEDITORIAL News in Hindiअंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर बनता भारत

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर बनता भारत

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इसरो ने वाकई कमाल कर दिया। विकासशील देशों को ही नहीं, विकसित देशों को भी यह आश्चर्य हो रहा है कि भारत ने असंभव को कैसे संभव कर दिखाया। छह जनवरी को भारत ने अपने अंतरिक्ष यान आदित्य को एल-1 (लैंग्रेज प्वाइंट) के पास की अंडाकार कक्षा (हेलो आर्बिट) स्थापित करके एक नया इतिहास रच दिया है। अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की इस बढ़त ने विकसित देशों को इस बात का एहसास करा दिया है कि हम भी किसी से कम नहीं हैं। अभी पिछले साल के आखिर में चंद्रयान 3 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतार कर भारत ने अपनी अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ती ताकत का प्रदर्शन किया था।

भारत के सिवा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर आज तक दुनिया का कोई भी देश अपना चंद्रयान उतारने में सफल नहीं हो पाया है। अब आदित्य एल-1 के हेलो कक्षा में स्थापित होने के बाद उम्मीद की जा रही है कि यह सूरज से जुड़े तमाम रहस्यों पर से पर्दा उठाने में सफल हो जाएगा। सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे नजदीकी तारा है। सदियों से सूरज हमारी जिज्ञासा का केंद्र रहा है। इसके संबंध में हमारे देश के लोक जीवन में विभिन्न प्रकार की लोकोक्तियां प्रचलित रही हैं। यह लोकोक्तियां बताती हैं कि हमारा समाज अपने परिवेश से कितना आत्मिक रूप से जुड़ा रहा है।

भारत के अंतरिक्ष यान आदित्य एल-1 ने 126 दिनों में 15 लाख किमी की यात्रा तय की है। एल-1 अंतरिक्ष में वह स्थान है जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण एक समान होता है। इस स्थान पर स्थापित किया गया उपग्रह सुचारु रूप से काम कर सकता है। हमारे देश का यान आदित्य एल-1 सूरज के साथ-साथ उसके आसपास के वातावरण का भी अध्ययन करेगा। इतना ही नहीं, पहली जनवरी 2024 को इसरो ने एक और इतिहास रचा था।

पहली जनवरी को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ‘एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट’ लांच किया गया था जो अब चंद्रमा, सूरज और सौरमंडल के ग्रहों को छोड़कर ब्रहमांड में फैले ब्लैक होल्स का अध्ययन करेगा। इस उपग्रह को सफलतापूर्वक लांच करने में इसरो के वैज्ञानिकों ने बहुत अधिक मेहनत की है। ब्रह्मांड में फैले ब्लैक होल्स को लेकर पूरी दुनिया में कई तरह की थ्योरी प्रचलित है। वास्तविक स्थिति क्या है, इसके बारे में सटीक जानकारी शायद ही किसी के पास हो। कहा जाता है कि ब्लैक होल्स के भीतर जाने वाला प्रकाश भी बाहर नहीं आ पाता है। जो भी वस्तु या ऊर्जा उसके संपर्क में आती है, उसको वह अपने में समाहित कर लेता है। साधारण भाषा में कहें, तो वह सबको निगल लेता है। सच क्या है, भारत द्वारा छोड़ा गया एक्सपो सेटेलाइट पता लगाने की कोशिश करेगा। यदि यह प्रयोग सफल हो गया, तो यकीनन हम पूरी दुनिया में अंतरिक्ष मामले में सबसे आगे होंगे।

-संजय मग्गू

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