उत्तराखंड की अंकिता भंडारी हत्याकांड तो याद ही होगा। ऋषिकेश के चीला क्षेत्र में स्थित वंतरा रिसार्ट की रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की चीला नहर में 24 सितंबर 2023 को लाश मिली थी। जबकि उसके गायब होने की रिपोर्ट 20 सिंतबर को लिखा दी गई थी। वंतरा रिसार्ट के मालिक पुलकित आर्य, रिसार्ट के मैनेजर सौरभ भास्कर और अन्य को हत्या का आरोपी ठहराया गया। चंूकि पुलकित आर्य भाजपा नेता और पूर्व राज्य मंत्री विनोद आर्य के पुत्र हैं,तो मामले को राजनीतिक रंग पकड़ना ही था। कांग्रेस सहित अन्य राजनीतिक दलों ने इस मामले में अंकिता भंडारी के परिजनों का साथ दिया। यूथ कांग्रेस ने इस मामले में सरकार पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाकर अनशन किए, रैलियां निकाली। अंकिता भंडारी हत्याकांड को अपने पोर्टल जागो उत्तराखंड के माध्यम से उभारने वाले पत्रकार आशुतोष नेगी अंकिता के गांव पौड़ी गढ़वाल के गांव डाभ श्रीकोट के निवासी हैं।
5 पांच मार्च को पुलिस ने आशुतोष नेगी को गिरफ्तार कर लिया है। तब से उत्तराखंड में भाजपा विरोधी दलों ने अंकिता हत्याकांड और पत्रकार आशुतोष की गिरफ्तारी को लेकर बवाल मचा रखा है। आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी को अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर उनकी सक्रियता से जोड़ा जा रहा है। लोगों का कहना है कि चूंकि अंकिता हत्याकांड के आरोपी भाजपा नेता और पूर्व राज्यमंत्री विनोद आर्य के बेटे हैं, इस वजह से पुलिस मामले को दबाना चाहती है। लेकिन पत्रकार आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी का एक दूसरा पहलू भी पुलिस बता रही है। पुलिस का कहना है कि उस पर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं है। वह आज भी अंकिता को न्याय दिलाने को तत्पर है। इस मामले में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। जहां तक पत्रकार आशुतोष की गिरफ्तारी का सवाल है, उनकी गिरफ्तारी राजेश कोली नामक आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश कोली से मारपीट करने, जान से मारने की धमकी देने और सोशल मीडिया पर जातिसूचक गाली देने जैसे मामले में की गई है।
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दरअसल, इस मामले में किस्सा यह बताया जा रहा है कि आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश कोली ने प्रदेश के कुछ अशासकीय विद्यालयों में वित्तीय घपले का पता लगाया था। इसकी शिकायत उन्होंने प्रशासन से की थी। वित्तीय घोटाला करने वाले अशासकीय स्कूलों में एक स्कूल आशुतोष नेगी के एक मित्र का भी था। आशुतोष ने इस मामले में राजेश कोली को हाथ खींच लेने और चुप बैठने को कहा था। राजेश कोली ने इस बात से इनकार किया, तो आशुतोष ने अपने तीन-चार साथियों के साथ राजेश कोली से मारपीट की, उन्हें गालियां और जान से मारने की धमकी दी। राजेश कोली ने अपनी 22 मई 2022 को दी गई शिकायत में यही लिखा है। तब से यह मामला खिंचता रहा। पुलिस भी हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। राजेश कोली यहां से वहां दौड़ते रहे। 5 मार्च को पुलिस की नींद खुली और आशुतोष को गिरफतार कर लिया। इस गिरफ्तारी को अंकिता हत्याकांड से जोड़कर सियासी रोटियों को सेंकने का प्रयास राजनीतिक दलों ने शुरू कर दिया है।
-संजय मग्गू
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