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पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने जा रही भाजपा?

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क्या भाजपा पश्चिम उत्तर प्रदेश के गढ़ को फतह करने के लिए  पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने जा रही है? बीजेपी सांसद और केंद्र सरकार में राज्यमंत्री संजीव बालियान ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को यूपी से अलग प्रदेश बनाने जाने की मांगकर इस आंशका को बढ़ा दिया  है। बीजेपी से जुड़े जाट नेताओं की मेरठ में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद में संजीव बालियान ने कहा कि पश्चिम उत्तर प्रदेश अलग राज्य बने। इसके बाद यह देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य होगा। केंद्रीय मंत्री बालियान भी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि मेरठ उस राज्य की राजधानी हो। इसकी मांग लंबे समय से हो रही है लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो सका।

बाद में पत्रकारों से रूबरू बालियान ने इस मुद्दे को विस्तार देकर बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश केवल नौ करोड़ की आबादी वाला इलाका है। यूपी में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला इलाका है। यह इलाका शिक्षा, कृषि, उद्योग से समृद्ध भी है। अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अलग राज्य बनता है तो यह देश का सबसे बेहतरीन राज्य होगा। यहां विकास की अपार संभावनाएं हैं। सब जानते हैं कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासी राजधानी भी मेरठ को कहा जाता है।

बेहतर कानून-व्यवस्था, अयोध्या में श्री राम मंदिर और जन कल्याणकारी योजनाओं को देने के बावजूद 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी की राह आसान नहीं दिखती। घोसी विधान सभा के उपचुनाव में हार के बाद अब बीजेपी को इंडिया गठबंधन लोकसभा की राह का रोड़ा प्रतीत हो रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विजय तो उससे पहले ही दूर थी। अब और ज्यादा दुरूह लग रही है।

भाजपा इसी इंडिया गठबंधन की काट निकालने की कोशिश  कर रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के  अलग-अलग समाज के लोगों से विचार कर मंथन कर रही है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की  चुनावी वैतरणी से कैसे पार लगा जाए। केंद्रीय सेवाओं में जाट आरक्षण बहाली को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट आंदोलन का मूड बनाए बैठे हैं। इस आंदोलन की काट ढूंढने के लिए रविवार को मेरठ में आयोजन किया। इस आयोजन में हर एक राजनीतिक दल के नेता आमंत्रित किए गए थे।

पश्चिमी यूपी को हरित प्रदेश बनाकर अलग राज्य का दर्जा देने की मांग करीब तीन दशक पुरानी है। इस क्षेत्र में समाज के हर वर्ग के लोग अलग राज्य की मांग के लिए आंदोलन करते रहे हैं। ऐसा नहीं है कि यह इलाका है या यहां उद्योग धंधे नहीं हैं। यहां के लोगों की मुख्य शिकायत प्रमुख प्रशासनिक केंद्रों का विकेंद्रीकरण न होना  है।

अधिकतर सभी प्रमुख संस्थान लखनऊ और उसके पास ही केद्रिंत हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेशवासियों को  यहां  जाने में काफी परेशानी उठानी पडती है। इलाहाबाद  हाईकोर्ट की पश्चिम में अलग बेंच बनाने की मांग तो 1956 से  चली आ रही है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के वादकारियों और अधिवक्ताओं की  मांग रही है कि लाहौर से ज्यादा दूर उन्हें इलाहाबाद पड़ता है।

पश्चिम उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट की बेंच बने,  इस मांग को लेकर 1980 में तीव्र आंदोलन हुआ था। इसे पूरा न होते देख  सुझाव आया कि हाईकोर्ट की बेंच की  मांग छोड़कर अलग प्रदेश की मांग करो। अलग प्रदेश बनेगा तो बेंच नहीं प्रदेश का अपना ही हाईकोर्ट  होगा। पश्चिमी यूपी का इलाका हर दृष्टि से प्रदेश के अन्य हिस्सों से आगे है।  यहां के निवासियों का  आरोप रहा है कि  हमारे द्वारा दिया गया राज्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास में लग रहा है। प्रदेश में लगभग  छह साल से भाजपा की सरकार है।इस दौरान भी कुछ नही हुआ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में शिकायत रही है कि उनका ध्यान पूर्वी उत्तर प्रदेश और गोरखपुर के विकास पर ज्यादा है

अशोक मधुप

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