राजधानी दिल्ली ने पिछले दिनों 18वें जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन में मेजबान की भूमिका निभाई। इससे पूर्व 17वां जी-20 शिखर सम्मेलन इंडोनेशिया के बाली में 15-16 नवंबर 2022 को आयोजित किया गया था और अब 18वां जी-20 शिखर सम्मेलन 9-10 सितंबर 2023 को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ है। वर्ष 2024 में 19 वें जी-20 सम्मलेन अध्यक्षता ब्राजील के पास होगी।
सम्मलेन का मुख्य मकसद वैश्विक अर्थव्यवस्था में प्रणालीबद्ध महत्वपूर्ण औद्योगिक और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करना है। 9-10 सितंबर 2023 को दिल्ली में आयोजित हुए जी-20 शिखर सम्मेलन से पूर्व इसी वर्ष भारत ने अपने सभी 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों के 60 प्रमुख शहरों में भी जी-20 की 220 बैठकें सफलतापूर्वक संपन्न कराकर अपनी सामर्थ्य व मेजबानी से पूरे विश्व को परिचित कराया है।
पश्चिमी देशों के कई प्रमुख अखबारों ने जहां जी-20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन का जिक्र किया है, वहीं इस आयोजन के मद्देनजर दिल्ली के सौंदर्यीकरण के नाम पर कई इलाकों में झुग्गियों को गिराने के विषय को भी प्रमुखता से उठाया है। अखबारों ने लिखा है कि किस तरह भारतीय अधिकारियों ने जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले गरीब बस्तियों को हटाकर सौंदर्यीकरण का अभियान चलाया।
इतना ही नहीं, वाशिंगटन पोस्ट ने तो अपने एक लेख में यह भी लिखा कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वैश्विक कार्यक्रम को अपने रिब्रांडिंग के लिए इस्तेमाल किया है। लेख में कहा गया कि देश भर में बिलबोर्ड पर प्रधानमंत्री का चेहरा चिपका दिया गया है। इसका संदेश सरल है कि दुनिया के शीर्ष नेताओं की मेजबानी करके भारत एक विश्व शक्ति के रूप में उभरा है और मोदी ही वो व्यक्ति हैं जो देश को वहां तक ले गए।
सच्चाई थोड़ी अलग है। जी 20 की अध्यक्षता हर सदस्य देश को मिलती है। जैसे इंडोनेशिया को पिछले साल मिली थी। बाइडेन और पीएम मोदी की द्विपक्षीय वार्ता के बाद तो एक अमेरिकी पत्रकार ने व्हाइट हाउस प्रवक्ता से अपना पहला ही सवाल दिल्ली में झुग्गियों को हटाए जाने पर पूछ लिया।
अमेरिकी पत्रकार ने पूछा कि बाइडेन-मोदी के बीच मुलाकात के संबंध में सबसे पहले मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या बातचीत में झुग्गियों पर बुलडोजर चलाने को लेकर बात हुई? क्या राष्ट्रपति बाइडेन ने पूछा कि सुनिए, लोकतांत्रिक सरकारें ऐसा बर्ताव नहीं करती हैं?
दरअसल जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले दिल्ली के पूर्वी जिला प्रशासन का मयूर विहार फेज-एक में झुग्गियों पर बुलडोजर चला। खादर में तीन अलग-अलग स्थानों पर कार्रवाई करके 30 से अधिक झुग्गियों को तोड़ दिया गया। यहां कथित तौर पर अवैध रूप से रह रहे करीब पांच हजार लोगों को हटाया गया था। प्रशासन द्वारा प्रगति मैदान व इसके आस पास में बसीं झुग्गियों को भी खाली कराया गया था।
झुग्गियों में रहने वाले लोगों ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन अदालत ने बस्तियों को अवैध करार दे दिया। इसके बाद प्रशासन ने इन्हें 31 मई तक घर खाली करने का आदेश दिया था। परिणाम स्वरूप शिखर सम्मेलन से पहले कई परिवार बेघर हो गए। मेहमानों को चमक दमक दिखाने के लिये गरीबों व झुग्गीवासियों पर गाज गिरना कोई नई बात नहीं है।
इससे पहले दिल्ली में हुये कॉमन वेल्थ खेलों के दौरान भी सरकार ने अपने ‘बदनुमा दाग ‘ छुपाने के लिये आधी दिल्ली को बड़े बड़े बोर्ड्स से ढक दिया था। याद कीजिये, 24 फरवरी 2020 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के अहमदाबाद दौरे के दौरान भी ऐसा किया गया था।
वैसे भी विश्व के शीर्ष नेता जिस गांधी को नमन करने राजघाट पहुंचे थे वह गरीबों व दलितों का मसीहा गांधी था। वह भारतीय गरीब जनमानस की आर्थिक स्थिति से प्रभावित होकर अपने वैभवशाली वस्त्र वस्त्र त्यागने तथा एक धोती में अपना जीवन गुजारने वाला गांधी था। गरीब झुग्गीवासियों के प्रति अभद्र व सौतेला व्यवहार करना तो यही बताता है कि गाँधी और गाँधी के दलितों को तो बस वोट बैंक के रूप में ही इस्तेमाल किया जाता है।
सरकार की चिंता पूंजीपतियों के कल्याण की अधिक होती है। वर्ना गरीबों को उजाड़ने व उन्हें पर्दों के पीछे छुपाने के क्या मायने हैं ? मिर्जा गालिब ने यूँही नहीं कहा था कि बे-खुदी बे-सबब नहीं ‘गालिब। कुछ तो है जिस की पर्दादारी है।
निर्मल रानी