हरियाणा की राजनीति में एकाएक आए बदलाव ने जहां विपक्षी दलों को चौंका दिया है, वहीं इसे भाजपा का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। भाजपा ने गुजरात, उत्तराखंड और त्रिपुरा में यही प्रयोग करके सफलता हासिल की है। यदि यह प्रयोग हरियाणा में भी सफल हुआ तो निकट भविष्य में दूसरे और राज्यों में इस ट्रिक का उपयोग किया जा सकता है। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि इससे सत्ता विरोधी रुझान की तीव्रता को कम किया जा सकता है। नायब सिंह सैनी को प्रदेश की कमान सौंपकर भाजपा ने जहां सत्ता विरोधी रुझान को कम करने की कोशिश की है, वहीं ओबीसी चेहरे को आगे करके आगामी लोकसभा और विधानसभा में ओबीसी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की है।
भाजपा ने प्रदेश के जाटों की अपेक्षा ओबीसी को महत्व देकर यह साबित करने का प्रयास किया है कि वह ओबीसी विरोधी नहीं है। जैसा कि कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी भाजपा बार-बार आरोप लगाते हैं। सैनी मंत्रिमंडल में अनिल विज का शामिल न होना, आश्चर्यचकित करता है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि पिछले काफी दिनों से मनोहर लाल और अनिल विज के बीच लागडॉट चल रही थी। स्वास्थ्य विभाग के कुछ मुद्दों को लेकर मनोहर लाल और अनिल विज के बीच मतभेद उभर आए थे। दोनों के बीच चल रहे मनमुटाव के चलते जनता के बीच संदेश अच्छा नहीं जा रहा था।
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वैसे राजनीतिक क्षेत्र में नायब सिंह सैनी को मनोहर लाल का करीबी माना जाता है। मनोहर लाल के ही कहने पर उन्हें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया गया था। ऐसी स्थिति में अनिल विज का मंत्रिमंडल में शामिल न करके विज और उनके जैसे अन्य लोगों को भी एक संदेश दिया गया है। नए राजनीतिक हालात में यदि राजनीतिक विश्लेषण किया जाए, तो सबसे ज्यादा घाटे में जजपा रही है। भाजपा-जजपा गठबंधन टूटने के बाद जहां दस विधायकों वाली जजपा अब पांच सदस्यों वाली ही रह गई है, वहीं उसके जनाधार में भी सेंध लगती दिखाई दे रही है। जजपा के पांच विधायकों के पाला बदल लेने से स्वाभाविक रूप से जजपा को झटका लगा है।
यह भी संभव है कि आगामी विधानसभा चुनाव के दौरान जजपा के बागी विधायकों को भाजपा टिकट देकर उन्हें जजपा के खिलाफ मैदान में उतारे। यदि ऐसा हुआ, तो जजपा को कुछ सीटों का नुकसान हो सकता है। आज पूर्व सीएम मनोहर लाल ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। अनुमान जताया जा रहा है कि मनोहर लाल को या तो लोकसभा चुनाव लड़ाया जा सकता है या फिर किसी प्रदेश का राज्यपाल बनाया जा सकता है। यदि उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट दिया जाता है, तो इसे पूर्व सीएम मनोहर लाल का प्रमोशन ही माना जाना चाहिए।
-संजय मग्गू
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