अशोक मिश्र
जूलियस सीजर का जन्म ईसा पूर्व सौ शताब्दी का माना जाता है। वह रोम का महान सेनापति माना जाता है। उसको इस बात का बहुत घमंड था कि वह रोमन के प्रसिद्ध कुल में पैदा हुआ था। वह अपने आपको देवी वीनस के वंश मानता था। युवावस्था में उसे उच्च तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। वह रोमन साम्राज्य में एक तानाशाह की तरह शासन करता था। कहने के लिए रोमन साम्राज्य में सीनेट व्यवस्था थी, लेकिन सारे फैसले जूलियस सीजर ही लेता था। वह अपने विरोधियों को माफी देने में विश्वास नहीं रखता था। एक बार की बात है। उसके किसी विरोधी ने उसके पास शिकायतों और उसकी कमियों का एक पुलिंदा भेजा। उस विरोधी ने गिन-गिनकर जूलियस सीजर की कमियां गिनाई थीं। उस पुलिंदे को सीजर ने तुरंत आग में झोंक दिया। उसे उसने पढ़ने की भी जरूरत नहीं महसूस की। यह देखकर उनके एक हितैषी ने कहा कि जिन पत्रों को आपने बिना पढ़े ही आग में झोंक दिया है, उनको सहेजकर आप शत्रु के प्रमाण के रूप में रख सकते थे। यह भविष्य में एक अच्छा दस्तावेज बन सकता था। इस पर सीजर ने उस हितैषी को बड़ी विनम्रता से धन्यवाद कहा और उसने कहा कि यद्यपि मैं हमेशा क्रोध के प्रति सतर्क रहता हूं, लेकिन मेरे लिए यह बहुत जरूरी है कि क्रोध के कारण को ही नष्ट कर दिया जाए। यदि मैं इन पत्रों को अपने पास रखता, तो इन्हें पढ़कर या देखकर मुझे क्रोध आता और मैं हो सकता है कि क्रोध में कोई गलत फैसला ले लेता। यह सुनकर हितैषी चुप रह गया। इस घटना के कई साल बाद एक थियेटर में 44 ईसा पूर्व गयुस कैसियस लोंगिनस और रोमन गणतंत्रवाद के अवतार मार्क्स जूनियस ब्रूटस ने चाकुओं से गोदकर उसकी हत्या कर दी। हालांकि कभी उसने इन दोनों को मौत की सजा से माफी दी थी।
सीजर ने कहा, क्रोध का कारण नष्ट होना जरूरी
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