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HomeEDITORIAL News in Hindiमध्य प्रदेश में कमलनाथ-दिग्विजय युग समाप्त !

मध्य प्रदेश में कमलनाथ-दिग्विजय युग समाप्त !

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Editorial: अब कांग्रेस ने भी अपने वयोवृद्ध नेताओं से पीछा छुड़ाना शुरू कर दिया है। भाजपा की राह पर चलते हुए कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की कमान जीतू पटवारी और जितेंद्र सिंह को सौंपकर इसका संकेत दे दिया था। अब मध्य प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और संगठन महासचिव जितेंद्र सिंह ने प्रदेश की भारी भरकम कार्यकारिणी को भंग कर दिया है। मध्य प्रदेश में उपाध्यक्षों और महासचिवों की संख्या डेढ़ सौ से अधिक हो गई थी। इन सबको पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने नियुक्त किया था। इनमें कुछ दिग्विजय सिंह के करीबी भी थे।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने भारी भरकम कार्यकारिणी के साथ-साथ करीब 40 से 45 प्रकोष्ठों का भी गठन किया था। पुजारी प्रकोष्ठ, मठ-मंदिर प्रकोष्ठ और धार्मिक उत्सव प्रकोष्ठ जैसे प्रकोष्ठों का गठन करके प्रदेश कांग्रेस ने सोचा था कि इससे मतदाताओं को लुभाया जा सके। लेकिन भाजपा की लहर के आगे कांग्रेस के सारे करतब काम नहीं आए। कांग्रेस को मध्य प्रदेश में ही नहीं, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में करारी हार मिली। इस हार के पीछे सबसे मुख्य कारण यह रहा कि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह गुट में कोई तारतम्य ही नहीं था। दोनों ने अपने-अपने समर्थकों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिलाने का प्रयास किया और काफी हद तक सफल भी हुए, लेकिन उन्हें जिताने के लिए जो प्रयास करना चाहिए था, वह नहीं किया गया।

तमाम पूर्वानुमानों और एग्जिट पोलों को ही परिणाम मानकर कांग्रेस नेताओं ने चुनाव प्रचार और जनसंपर्क में कोताही बरती जिसका नतीजा यह रहा कि कांग्रेस जीता हुआ चुनाव हार गई। वैसे शिवराज सिंह ने जिस तरह चुनाव प्रचार किया, उसका भी असर रहा कि कांग्रेस को कई उन सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा, जो उसका पारंपरिक गढ़ था। इससे सबक लेकर कांग्रेस ने युवा नेता जीतू पटवारी और जितेंद्र सिंह को मध्य प्रदेश की कमान सौंपकर यह संकेत दिया है कि अब कमलनाथ और दिग्विजय सिंह का युग खत्म हो गया। जिस तरह जीतू पटवारी और जितेंद्र सिंह फैसले ले रहे हैं, उससे यह भी संभावना है कि निकट भविष्य में कमलनाथ के समय में बनाए गए विभिन्न प्रकोष्ठों में भी फेरबदल हो सकता है या फिर इन्हें भी भंग किया जा सकता है।

जीतू पटवारी अब उन लोगों की तलाश में हैं जो जमीन से जुड़े हुए हैं और दोनों गुट से अलग हैं। कांग्रेस की समझ में यह बात आ गई है कि कांग्रेस में गुटबाजी को खत्म किए बिना उसे चुनावों में सफलता नहीं मिल सकती है। यही वजह है कि आलाकमान का संकेत मिलते ही उन्होंने कार्यकारिणी भंग कर दी है। निकट भविष्य में वे अपने विश्वसनीय लोगों को कार्यकारिणी में स्थान दे सकते हैं। बेहतर यही होगा कि वह युवाओं को प्रमुखता दें ताकि ये नए जोश और जुनून के साथ अभी से अपने काम में लग जाएं। चुनाव के समय की गई मेहनत वोट में तब्दील नहीं होती है, इस बात को समझना होगा।

  • संजय मग्गू
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