Monday, March 10, 2025
30.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiकिसान आंदोलन को लेकर उपेक्षा का भाव अच्छा नहीं

किसान आंदोलन को लेकर उपेक्षा का भाव अच्छा नहीं

Google News
Google News

- Advertisement -

संजय मग्गू
ऐसा लगता है कि सुप्रीमकोर्ट की हाईपावर कमेटी आंदोलनरत किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत शुरू कराने के मामले में हथियार डाल दिया है। कमेटी के चेयरमैन पूर्व जस्टिस नवाब सिंह ने कहा है कि  केंद्र से सीधा बातचीत कराने की हमारे पास अथॉरिटी नहीं है। यह सही है कि सुप्रीमकोर्ट की हाई पॉवर कमेटी की अपनी कुछ सीमाएं हैं। वह अपनी सीमा का उल्लंघन भी नहीं कर सकती है। वह किसी किस्म का आदेश भी पारित नहीं कर सकती है। वह सिर्फ आंदोलन के मामले में अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है। किसान अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। केंद्र सरकार लगता है कि इन किसानों से बातचीत करने के मूड में नहीं है। पिछले आंदोलन के दौरान जब भी केंद्रीय कृषि मंत्री और अधिकारियों के साथ कई दौर की वार्ता हुई, तो मामला सुलझ नहीं पाया था। कई जगहों पर हुई कई दौर की वार्ता के बीच किसानों ने काफी शोर शराबा किया था। किसानों ने तो एक बार सरकारी चाय पीने तक से इनकार कर दिया था। कई दौर की बातचीत के बाद भी जब मामला नहीं सुलझा, तो केंद्र सरकार ने बातचीत में रुचि लेनी ही बंद कर दी थी। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। केंद्र सरकार पिछले 13 फरवरी से खनौरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को लेकर गंभीर नहीं है। उसने एक बार भी अपने स्तर से बातचीत करने की कोशिश नहीं की है। इसके पीछे शायद वार्ता का पिछला अनुभव है। सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार अपनी बात रखकर मौन हो जाती है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी यह कह चुके हैं कि सुप्रीमकोर्ट का जो भी आदेश होगा, उसका पालन किया जाएगा। एक तरह से केंद्र सरकार ने गेंद सुप्रीमकोर्ट के पाले में डाल दी है। सुप्रीमकोर्ट ने आगामी दस जनवरी को मामलेकी सुनवाई की तारीख तय की है, लेकिन सवाल यह है कि पिछले 42 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का क्या होगा? उनकी हालत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। किसान नेता डल्लेवाल की जांच करने वाले डॉक्टर के हवाले से यह बात कही जा रही है कि डल्लेवाल के कई अंग शिथिल पड़ रहे हैं। किडनी, लीवर और फेफड़े काम न करने की ओर अग्रसर हैं। उनका ब्लड प्रेशर बार-बार ऊपर नीचे हो रहा है। दबी जुबान से डॉक्टर ने यह भी आशंका जताई है कि उन्हें कार्डियक अरेस्ट या साइलेंट अरेस्ट का खतरा है। उनका मसल मांस टूट गया है जो अब कभी रिकवर नहीं होगा। केंद्र सरकार को इस मामले को अब गंभीरता से लेना चाहिए। किसानों की जो भी जायज मांगें हैं, उन पर केंद्र सरकार को सहानुभूतिपूर्वक विचार करके आंदोलन को खत्म कराने का प्रयास करना चाहिए।

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

स्वभाव में साम्यता की वजह से पुतिन की ओर झुके ट्रंप?

संजय मग्गूराष्ट्रपति चुनाव के दौरान जनता के बीच दिए गए ‘अमेरिका फर्स्ट’ नारे को लागू करने में डोनाल्ड ट्रंप पूरी शिद्दत से जुट गए...

छोटी मुसीबत को किसान ने बड़ी समझा

बोधिवृक्षअशोक मिश्रजब तक किसी समस्या का सामना न किया जाए, तब तक वह बहुत बड़ी लगती है। सामना किया जाए, तो लगता है कि...

Recent Comments