संजय मग्गू
हरियाणा में चुनावी महासमर अपने चरम पर है। प्रत्येक राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारक अपने दम खम के साथ चुनाव प्रचार में लगे हैं। भाजपा के उम्मीदवारों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान तक चुनाव प्रचार कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने की भरपूर कोशिश में राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल प्रदेश के जिलों की खाक छान रहे हैं। अब तो बसपा-इनेलो गठबंधन के लिए बसपा प्रमुख मायावती ने भी दुंदुभि बजा दी है। कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता भी अपनी पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। लेकिन पूरे चुनाव प्रचार को ध्यान से देखने पर साफ नजर आता है कि जनता से जुड़े मुद्दे पूरी तरह से चुनावी परिदृश्य से गायब हैं। कोई भी स्टार प्रचारक गरीबी, बेकारी, महंगाई, किसानों की दशा, शिक्षा व्यवस्था, सड़कों की दशा-दुर्दशा जैसे मुद्दों पर बात ही नहीं कर रहा है। प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। कल ही पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे जारी किया गया है जिसमें साल 2023-24 में सिर्फ एक प्रतिशत बताया गया है। मतदान से सिर्फ दस-ग्यारह दिन पहले इस तरह सर्वे रिपोर्ट जारी करने का मंतव्य सबकी समझ में आ रहा है। एक साल के भीतर पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी घटने का रिकार्ड हरियाणा के नाम पर दर्ज हुआ है। सिर्फ एक प्रतिशत ही बेरोजगारी दर हरियाणा में रह गई है, जबकि जमीनी हकीकत से प्रदेश की जनता वाकिफ है। अभी कुछ साल पहले तक देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी वाला प्रदेश बस तो तीन साल में ही सबसे कम बेरोजगारी वाला प्रदेश हो गया, यह ताज्जुब की बात है। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहले भी सरकारी और गैरसरकारी आंकड़ों को मानने से इनकार करते रहे हैं। महंगाई अपने चरम पर है, इस बात को प्रदेश की जनता बखूबी महसूस कर रही है, सरकारी आंकड़े भले ही कुछ भी कहते रहे हैं। अफसोस की बात तो यह है कि राजनीतिक दल एक दूसरे पर भ्रष्टाचार, समाज को बांटने, विभिन्न तरह के लुभावने करने में ही लगे हैं। उन्हें जन समस्याओं से कुछ लेना देना नहीं है। भाजपा के नेता चाहे वह कार्यवाहक सीएम नायब सिंह सैनी हों, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल हों या दूसरे, भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासन काल को पर्ची खर्ची वाली सरकार कहकर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित बाकी नेता भी भाजपा सरकार पर भर्ती न करने का आरोप लगा रहे हैं। पूरे प्रदेश में आरोप-प्रत्यारोप का अंतहीन सिलसिला देखने को मिल रहा है। राजनीतिक दलों की भाषा विषैली होती जा रही है। बागी उम्मीदवार अपनी पुरानी पार्टी के खिलाफ खड़े हैं, वे उनकी आलोचना कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में पूरे चुनावी माहौल से जनता के मुद्दे गायब दिखाई दे रहे हैं।
संजय मग्गू