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निजी स्कूलों की मान्यता पर मनोहर सरकार हुई नरम

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हरियाणा सरकार ने प्रदेश के निजी स्कूलों को एक बड़ी राहत प्रदान की है। अब प्रदेश के जिन स्कूलों को संचालित होते हुए बीस साल से ऊपर हो गए हैं, उनको मान्यता के लिए दोबारा आवेदन नहीं करना पड़ेगा। जिन स्कूलों को संचालित होते हुए दस साल से ऊपर हो गए हैं, उनको आवेदन करना होगा। ऐसे निजी स्कूलों की समीक्षा सरकार करेगी। यदि समीक्षा के दौरान सब कुछ सही पाया गया, तो प्रदेश सरकार उनकी मान्यता को बहाल कर देगी। प्रदेश सरकार के इस फैसले से राज्य के चार हजार से अधिक स्कूलों को राहत मिलेगी।

मान्यता न मिलने से स्कूल संचालकों को काफी परेशान हो रही थी। अब वे राहत की सांस ले सकते हैं क्योंकि नए मामले में आवेदन करने के साथ-साथ यह अंडरटेकिंग देनी होगी कि सरकार द्वारा तय किए गए मानकों का वे पालन करते हैं और भविष्य में भी पालन करते रहेंगे। ऐसे स्कूलों की समीक्षा का आधार भी उनके द्वारा दी गई अंडरटेकिंग ही होगी। आवेदन करने के बाद ही सरकार मान्यता को रिन्यू करेगी। मालूम हो कि 21 जुलाई को फेडरेशन आॅफ प्राइवेट स्कूल्स वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर से मुलाकात की थी। 

पदाधिकारियों ने मंत्री से अपनी समस्याएं बताई थीं। मंत्री ने भी उनकी समस्याओं को सुलझाने का आश्वासन दिया था। यह सही है कि किसी भी संस्थान को हर साल मान्यता के लिए आवेदन करना और फिर सरकार से मान्यता हासिल करना, परेशानी का सबब है। लेकिन सरकार का यह मानना भी सही है कि ज्यादातर निजी स्कूल एक बार मान्यता हासिल कर लेने के बाद मनमानी पर उतर आते हैं। वे बिना सरकार को सूचित किए फीस बढ़ा लेते हैं, अध्यापकों और कर्मचारियों को वेतन कम वेतन देते हैं। दूसरी कई तरह की मनमानी करते हैं। बच्चों से एक निश्चित दुकान से ही कापी, किताबें और स्कूल ड्रेस आदि लेने को या तो बाध्य करते हैं या फिर इन वस्तुओं को खुद ही महंगे दामों पर बेचते हैं।
सरकार के अंकुश लगाने की वजह से ही अभिभावकों का आर्थिक शोषण नहीं हो पाता है। सरकार को चाहिए कि जितना भी समय उसने स्थायी मान्यता देनेके लिए तय किया है, उस अवधि में सभी मानकों पर कड़ाई से पालन करवाए। स्कूलों में बच्चों के खेलने के लिए मैदान है या नहीं, विज्ञान की कक्षाओं के लिए प्रयोगशालाएं हैं या नहीं, उनमें सारे उपकरण उपलब्ध हैं या नहीं।

पीने के पानी की व्यवस्था है या नहीं, लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था तो जरूर देखी जानी चाहिए। जब तक ये व्यवस्थाएं मुकम्मल न हों, तब तक स्कूलों को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए। कई निजी स्कूल तो मान्यता को लेकर भी धोखाधड़ी करते हैं। उन्हें सरकार से मान्यता मिली नहीं होती है, लेकिन वे अभिभावकों से मान्यता मिलने की बात बताते हैं। इससे जब सरकार कार्रवाई करती है, तो स्कूली बच्चों का भविष्य खराब हो जाता है। उनका वह शैक्षिक सत्र खराब हो जाता है।

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