हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की सरकारें अंतरराज्यीय मुद्दों और विवादों को सुलझाने के लिए तत्पर नजर आने लगी हैं। बुधवार को दोनों राज्यों के मुख्य सचिव स्तर की हुई वार्ता के दौरान यह बात उभरकर सामने आई है। एसवाईएल मुद्दे को सुलझता न देखकर जब हरियाणा ने पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए जब वैकल्पिक व्यवस्था के संबंध में सोचा, तो उसकी निगाह अपने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश पर पड़ी।
हिमाचल प्रदेश ने भी नहर निकालकर यमुना का पानी हरियाणा को देने पर सहमति जताई। बुधवार को हुई बैठक दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों ने टोंस नदी पर किशाऊ बांध बनाने के संबंध में आने वाली बाधाओं को दूर करने का फैसला लिया है। दोनों राज्य आपसी सहयोग से इस संबंध में आने वाली तकनीकी और कानूनी अड़चनों को दूर करेंगे और जल्दी से जल्दी किशाऊ बांध को पूरा करने की कोशिश करेंगे।
किशाऊ बांध परियोजना उत्तराखंड के देहरादून और हिमाचल के सिरमौर जिलों में यमुना की सहायक नदी टोंस पर स्थित है। इस बांध की भंडारण क्षमता 1.04 एमएएफ होगी और इससे 660 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा सकेगा। इससे उत्पादित बिजली का वितरण हिमाचल, उत्तराखंड और हरियाणा के बीच किया जाएगा। इस संबंध में 12 मई 1994 में तीनों राज्यों के बीच समझौता हुआ था। समझौते के अनुसार ही पानी का बंटवारा भी किया जाएगा। यदि किशाऊ बांध का निर्माण हो जाता है, तो हथिनी कुंड बैराज से बिना किसी उपयोग में आए बह जाने वाला पानी रोका जा सकता है।
बरसात के दिनों पहाड़ी राज्यों से आने वाले पानी का 65 प्रतिशत हिस्सा विभिन्न चैनलों के माध्यम से कवर कर लिया जाता है, लेकिन 35 प्रतिशत बेकार चला जाता है। किशाऊ बांध बनने पर बेकार चले जाने वाले इस पानी को कवर किया जा सकता है। बेकार चले जाने वाला पानी ही हरियाणा और दिल्ली में बाढ़ का कारण बनता है। किशाऊ बांध बनने पर इन दोनों राज्यों में आने वाली बाढ़ को रोका जा सकता है। किशाऊ बांध से बनने वाली बिजली को भी खरीदने की इच्छा हरियाणा ने जताई है। इस पर हिमाचल सरकार को भी आपत्ति नहीं है।
हिमाचल और हरियाणा के मुख्य सचिव स्तर की हुई वार्ता में यह भी तय किया गया है कि दोनों राज्य अलग-अलग तकनीकी कमेटियां बनाएंगे और इसकी रिपोर्ट एक दूसरे से साझा करेंगे। ये कमेटियां बांध निर्माण में आने वाली तकनीकी खामियों का पता लगाकर उन्हें दूर करने का प्रयास करेंगी। जिस तरह दोनों राज्यों ने किशाऊ बांध को लेकर गर्मजोशी दिखाई है, उससे यह संभावना है कि कुछ ही वर्षों में सभी अड़चनों को दूर करते हुए बांध बना लिया जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो हरियाणा को बरसात के दिनों में आने वाली बाढ़ से निजात मिल जाएगी।
-संजय मग्गू