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टीआरपी के लिए कुछ भी करने को तैयार टीवी चैनल्स

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संजय मग्गू
इस बात को काफी दिनों से महसूस किया जा रहा था कि मीडिया संस्थान जानबूझकर देश के माहौल में हिंदू-मुसलमान का जहर घोलना चाहते हैं। इस जहरीले माहौल से किसको फायदा होगा, किसको नुकसान, इन मीडिया वालों को कोई लेना देना नहीं है। बस, उन्हें टीआरपी चाहिए। इसके लिए वे कुछ भी कर सकते हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के विचारक और राज्यसभा के पूर्व सांसद प्रो. राकेश सिन्हा ने जो खुलासा किया है, वह पूरी तरह सच है। कुछ मीडिया चैनल्स पिछले दस बारह सालों से यही करते आ रहे हैं। प्रो.राकेश सिन्हा का आधे घंटे का वीडियो जर्नो मिरर नाम के यूट्यूब चैनल ने पोस्ट किया है। इस पोस्ट में प्रो. सिन्हा खुद बता रहे हैं कि सन 2016 में एक राष्ट्रीय चैनल के एंकर ने उनसे संपर्क किया और बताया कि आज की डिबेट आपसे ही शुरू करूंगा। इस डिबेट के दौरान आपको मुसलमानों की दाढ़ी और टोपी पर कुछ ऐसा बोलना है जिससे लोग इस डिबेट को देखने पर मजबूर हो जाएं। उस एंकर ने प्रो. सिन्हा से टोपी और दाढ़ी पर कुछ आपत्तिजनक बोलने को कहा था। प्रो. सिन्हा उस पोस्ट में बताते हैं कि जब चैनल की गाड़ी आई तो उन्होंने डिबेट में जाने से मना कर दिया। प्रो. सिन्हा पढ़े-लिखे और समझदार व्यक्ति हैं। उन्होंने बिल्कुल सही निर्णय लिया। वह अपनी कही गई बातों का महत्व समझते हैं, लेकिन यदि आज भी चैनलों पर होने वाली डिबेट को गंभीरता से देखा-सुना जाए, तो यह साफ नजर आता है कि चैनल्स अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिए क्या खेल कर रहे हैं। प्रो. सिन्हा खुद कहते हैं कि भारत के भविष्य में सब पिरोए हुए हैं। उनका यह वाक्य एक बहुत बड़ा संदेश है, उन लोगों के लिए जो दिन रात वैमनस्य फसल उगाने पर तुले हुए हैं। ऐसे में यह भी हो सकता है कि मौलानाओं से भी टीवी चैनल्स के एंकर कड़वी बात बोलने के लिए कहते होंगे। मतलब यह है कि अपनी टीआरपी के लिए देश का माहौल खराब करना इन चैनल वालों को मंजूर है। जबकि पिछले साल ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि भारत को दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि हम मिलजुलकर रहते हैं। उन्होंने तो जगह-जगह राम मंदिर खोजने वालों पर तंज भी किया था। लेकिन इसके बावजूद मस्जिदों में मंदिर खोजने का सिलसिला थमा नहीं है। यह चंद मुट्ठी भर लोग हैं जो माहौल बिगाड़कर अपना भला करना चाहते हैं। देश की बहुसंख्यक आबादी को इन मुद्दों से कुछ लेना देना नहीं है। वह अपनी योग्यता और क्षमता भर कमाती खाती है और अपने-अपने जाति, धर्म के हिसाब से पूजा आराधना करती है। उसे इन झगड़ों से बहुत ज्यादा कुछ लेना देना नहीं है। देश में जो कुछ भी विपरीत माहौल दिख रहा है, उसके पीछे चंद लोग हैं जो दोनों तरफ के हैं। यही लोग टीवी डिबेट, भाषण और अपने कार्यकलापों से माहौल को खराब करने की कोशिश में लगे रहते हैं। देश की जनता धार्मिक है, धर्मांध नहीं।

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