देश रोज़ाना: अभी पूरी दुनिया रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर परेशान थी। इसके बुरे परिणामों से उबर भी नहीं पाई थी कि हमास और इजराइल में छिड़े युद्ध ने एक और संकट पैदा कर दिया है। एक अनुमान है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अब तक दो लाख से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। कई लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं। अरबों-खरबों की संपत्ति नष्ट हो चुकी है। इजराइल और हमास के बीच जारी 13वें दिन के युद्ध में अब तक कई हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इन युद्धों के दौरान दागा गया गोला-बारूद, मिसाइलें जहां मानवघाती साबित हो रही हैं, संपत्ति को नष्ट कर रही हैं, वहीं पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा रही हैं।
इन देशों में दागे एक गोला-बारूदों का धुआं अन्य देशों में भी पहुंच रहा है। इससे एक तो ग्लोबल वार्मिंग की समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है, वहीं हवा के विषाक्त हो जाने से लोगों को कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इन दोनों युद्धों के चलते रूस-यूक्रेन, इजराइल और गाजा पट्टी के लोग तो प्रभावित हो ही रहे हैं, इन देशों के पड़ोसी देशों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यदि जल्दी ही इन युद्धों पर रोक नहीं लगाई गई, तो पूरी दुनिया गैस चैंबर की तरह हो जाएगी। पर्यावरण में असंतुलन पैदा होने से एक बहुत बड़ी आबादी को विस्थापित होना पड़ेगा। पर्यावरण असंतुलन के चलते लोगों की आजीविका पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। एक बहुत बड़ी आबादी को अपना घर द्वार छोड़कर दूसरे देशों की शरण लेनी पड़ सकती है। वैसे भी युद्ध के चलते लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं।
इतना ही नहीं, इन युद्धों का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है। युद्ध शुरू होने के दूसरे दिन ही कच्चे तेल की कीमत में पांच डॉलर प्रति बैरल बढ़ने की खबर आ गई थी। हमास और इजराइल के बीच चल रहे संघर्ष के बीच अरब के कई देश इजराइल पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं। यदि ऐसा हुआ तो इसका प्रभाव अमेरिका और अरब देशों के संबंधों पर भी पड़ेगा। अनाज से लेकर डीजल, पेट्रोल और अन्य पदार्थों की कीमत आसमान छूने लगेगी। वैश्विक बाजार में महंगाई बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। पहले से ही कुछ देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे देशों की बहुसंख्यक आबादी पहले से ही गरीबी में अपना जीवन गुजार रही है। और महंगाई बढ़ने पर इनकी तो कमर ही टूट जाएगी।
भारत जैसे देशों पर भी इस युद्ध का बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी दो जून का भोजन जुटा पाने में असमर्थ है। ऐसी दशा में महंगाई बढ़ने और बेरोजगारी के चलते विस्थापन की समस्या विकट हो जाएगी। इसलिए बेहतर है कि सभी देश में मिलकर रूस-यूक्रेन और हमास-इजराइल का युद्ध बंद कराएं।
– संजय मग्गू