महिलाएं समाज की ही नहीं, परिवार की भी धुरी होती हैं। पूरा परिवार उनके ही इर्द-गिर्द घूमता है। परिवार और समाज में महिलाओं की महत्ता से इनकार नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने का पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। वैसे भी सरकारों को महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान देना ही चाहिए। यह जिम्मेदारी पुलिस विभाग की है। वैसे यह बात सही है कि हर घर पर पुलिस का पहरा नहीं बिठाया जा सकता है। यह भी सही है कि असंगठित अपराध को रोक पाना किसी भी सरकार या समाज के लिए असंभव सा है। गली, मोहल्ले या बाजार में कौन आदमी अपने मन में किस भावना के साथ घूम रहा है, यह जान पाना बहुत मुश्किल है।
राह चलते किसी से झगड़ा हुआ और उसने भावावेश में किसी ने महिला या पुरुष को पीट दिया, ऐसी घटनाओं को रोकने का कोई साधन पुलिस या किसी भी खुफिया विभाग के पास नहीं होता है। लेकिन जहां तक संगठित अपराध की बात है। इसे रोका जा सकता है। इस पर अंकुश लगाया जा सकता है। इसके लिए पुलिस और खुफिया विभाग को सतर्क रहना होगा। महिलाओं से जुड़े अपराध इन दिनों बहुत ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। प्रदेश सरकार ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे पहले तो खुद महिलाओं से सम्मान के साथ बात करें।
पुलिसकर्मियों की छवि समाज में अच्छी बनेगी, तभी महिलाएं निस्संकोच थाने या पुलिस चौकी में आने से घबराएंगी नहीं। वैसे भी महिलाएं पुलिस के चक्कर में पड़ना नहीं चाहती हैं। बहुत मजबूरी होने पर ही वे पुलिस वालों से संपर्क करती हैं। ऐसे में यदि वे किसी समस्या को लेकर उनके पास आती हैं, तो वे तत्काल उनकी समस्या को सुलझाएं। महिला हेल्पलाइन नंबर 112 से जोड़ने के लिए अधिक से अधिक महिलाओं को प्रेरित किया जाए, ताकि पंजीकरण होने के बाद यदि उन्हें किसी किस्म की जरूरत महसूस होती है, तो तत्काल उन्हें सहायता उपलब्ध कराई जा सके।
पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत सिंह ने भी अपने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जहां महिलाओं का जमावड़ा होता है यानी हाट स्पाट है, वहां पर पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई जानी चाहिए। कुछ वर्दी में हों और कुछ बिना वर्दी के, ताकि अराजक तत्वों पर निगाह रखी जा सके। महिलाओं को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराना पुलिस का ही काम है।
उन्होंने तो यह भी कहा है कि यदि उनके पास किसी भी किस्म की शिकायत आती है, तो वे तत्काल उसका जवाब दें, जल्दी से जल्दी सहायता उपलब्ध कराएं और वे काम हो जाने के बाद उससे फीडबैक लें ताकि यह पता लगाया जा सके कि पुलिस कितनी तत्परता से लोगों की मदद करती है। इसके आधार पर उन्होंने पुलिस कर्मियों को सम्मानित करने की भी बात कही है। साथ ही यह भी कहा है कि लापरवाही बरतने वाले कर्मियों को दंडित भी किया जाएगा। पुलिस लोगों की मित्र बनकर रहे तो बेहतर है।
संजय मग्गू