अफ्रीका के गांधीवादी नेता के नाम से मशहूर नेल्सन मंडेला ने लगभग 27 साल जेल में बिताए। उनके बारे में कहा जाता है कि वे महात्मा गांधी के विचारों से काफी प्रभावित थे। वह उनकी अहिंसा नीति से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की नीति के खिलाफ वर्षों तक संघर्ष किया लेकिन गांधीवादी विचारधारा को त्यागा नहीं। वह दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्रपति बने। दक्षिण अफ्रीका के वे पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे। 5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को विद्रोह के लिए उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई।
सजा के लिए उन्हें राबेन द्वीप की जेल में भेजा गया। वहां उन्हीं दिनों एक कमांडिंग आफीसर नियुक्त हुआ था जिसका नाम था बैडेनहर्स्ट। वह अश्वेतों के प्रति घृणा का भाव रखता था। उनके साथ बुरा व्यवहार करता था। संयोग से उन्हीं दिनों राबेन द्वीप जेल में तीन न्यायाधीशों की एक टीम जांच के लिए आई। उसने नेल्सन मंडेला से बात की, तो नेल्सन मंडेला ने सब कुछ सच सच बता दिया। उन्होंने कमांडिग आफीसर की सारी ज्यादतियों का जिक्र उसके ही सामने किया। वे बिना डरे बैडेनहर्स्ट के बुरे बरताव के बारे में न्यायाधीशों को बताते रहे।
न्यायाधीशों ने उनकी बात पर विश्वास करके सब कुछ अपने रिकार्ड में दर्ज कर लिया। नेल्सन मंडेला के कहने पर न्यायाधीशों ने दूसरे कैदियों से भी बातचीत की। इस पर कमांडिंग आफीसर बैडेनहर्स्ट काफी नाराज हुआ। उसने चीखते हुए कहा कि नेल्सन, ये न्यायाधीश तो कल चले जाएंगे। इसके बाद तुम्हें कौन बचाएगा। यह धमकी सुनने के बाद भी मंडेला शांत खड़े रहे। इसके बाद तीनों न्यायाधीश चले गए। उन्होंने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। कुछ ही दिन बाद बैडेनहर्स्ट का तबादला हो गया।
पंकज तिवारी