नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक राष्ट्रवादी क्रांतिकारी थे। उन्होंने 23 जनवरी 1897 को ओड़िशा के कटक जिले में एक बंगाली कायस्थ परिवार में जन्म लिया था। उन्होंने जापान में रहने वाले रास बिहारी बोस द्वारा गठित आजाद हिंद फौज का नेतृत्व भी किया था। नेताजी ने जब आईसीएस की परीक्षा पास कर ली, तो उनके मन में आया कि वे ब्रिटिश सरकार की नौकरी करके अपने देश की सेवा नहीं कर पाएंगे। उन दिनों वे देश बंधु चितरंजन दास से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने इस संबंध में देशबंधु को पत्र लिखकर सलाह मांगी तो उन्होंने कहा कि यह सच है कि ब्रिटिश हुकूमत की नौकरी में आप देश सेवा नहीं कर पाएंगे, इसलिए यदि देश सेवा करनी है, तो सरकारी नौकरी छोड़नी ही पड़ेगी।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंतत: ब्रिटिश हुकूमत की नौकरी छोड़ दी और देश सेवा में लग गए। उनकी मुलाकात मुंबई में महात्मा गांधी से हुई, तो वे कांग्रेस से जुड़कर काम करने लगे। जल्दी ही उनकी समझ में आ गया कि कांग्रेस की विचारधारा के अनुसार काम किया गया, तो देश को आजाद कराने में सफलता नहीं मिलेगी। इसकी वजह से नेताजी सुभाष चंद्र बोस और महात्मा गांधी में वैचारिक मतभेद पनपे, तो उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। वे क्रांतिकारी संगठन में शामिल होकर देश को आजाद कराने की मुहिम में जुट गए।
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ब्रिटिश सरकार ने जल्दी ही उन्हें जेल में डाल दिया तो वे योजना बनाकर जेल से फरार होकर जापान पहुंचे और रास बिहारी बोस की आजाद हिंद फौज का नेतृत्व किया क्योंकि उस समय तक रास बिहारी बोस काफी बूढ़े हो चुके थे। नेताजी ने ही 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च कमांडर की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार बनाई जिसे चीन, जापान सहित 11 देशों की सरकार ने मान्यत प्रदान की।
-अशोक मिश्र
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