इंसान हो या कोई दूसरा प्राणी, बंधन किसी को भी स्वीकार नहीं होता है। हर जीव स्वतंत्र रहना चाहता है। पिंजरा चाहे सोने का हो या फिर काठ का, पिंजरा ही होता है। उसमें रहने वाला पक्षी कैदी ही होता है। स्वतंत्रता सबसे मूल्यवान है, इसकी कीमत कभी-कभी जान देकर भी चुकानी पड़ती है। एक बार की बात है। चीन में झोऊ राजवंश के सम्राट को एक योग्य और बुद्धिमान मंत्री की जरूरत पड़ी। उनका पुराना मंत्री बूढ़ा होने की वजह से सेवानिवृत्त हो गया था। उसका पद खाली पड़ा था। उन्होंने अपने दरबार में मौजूद दरबारियों से एक योग्य मंत्री की तलाश करने को कहा।
कुछ दिनों बाद दरबारियों ने बताया कि पूरे चीन में लाओत्से ही सबसे बुद्धिमान व्यक्ति हैं, उन्हें यदि मंत्री बना दिया जाए, तो अच्छा होगा। बस फिर क्या था? राजा के आदेश पर सेना लाओत्से को खोजने निकल पड़ी। काफी खोजने के बाद समुद्र के किनारे कछुओं से खेलते हुए लाओत्से मिले। सैनिकों ने लाओत्से से कहा कि सम्राट ने आपको बुलाया है। तब लाओत्से ने कहा कि यदि सम्राट को उनकी जरूरत है, तो उन्हें खुद यहां पर आना चाहिए। मैं क्यों जाऊं। तब सैनिक ने बुलाने का कारण बताते हुए कहा कि सम्राट आपको अपने राज्य का मंत्री बनाना चाहते हैं।
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यह आपके लिए सुनहरा मौका है। आप तुरंत सम्राट से मिलने के लिए चलें। यह सुनकर लाओत्से ने कहा कि सम्राट के सिंहासन के दोनों तरफ बने कछुओं पर सोने की परत क्यों चढ़ाई जाती है। सैनिक ने जवाब दिया, ताकि सुंदर लगे। तब लाओत्से ने कहा कि अगर तुम इस कछुए से कहो, महल में चलो तुम्हारे ऊपर सोने की परत चढ़ाई जाएगी, तो क्या यह जाएगा? तब सैनिकों ने कहा कि नहीं। लाओत्से ने कहा कि मैं तो इंसान हूं। मैं बंधन क्यों स्वीकार करूं।
-अशोक मिश्र
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