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जीवन के अंतिम पड़ाव में आराध्य देव के दर्शन का सुख उठाते बुजुर्ग

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संजय मग्गू
भारत की बहुसंख्यक आबादी सदियों से धार्मिक रही है। धर्म और जीवन शैली दोनों इस तरह आपस में घुलमिल गए थे कि धर्म और जीवन में विभेद कर पाना सहज नहीं रह गया। सुबह उठते ही धरती और सूरज को प्रणाम करना, नहाने के बाद तुलसी, शिवलिंग पर जल चढ़ाना और सूरज को अर्घ्य देना, यह सब जीवन का हिस्सा रहे हैं। इन कामों के लिए मनुुष्य को अलग से समय निकालने की जरूरत कभी नहीं रही। जीवन के तमाम काम करते हुए वह नदी, कुओं, पेड़-पौधों की पूजा-अर्चना करते रहे। साकार और निराकार ब्रह्म उनके लिए कभी विवाद का विषय नहीं रहे। फुरसत मिली, तो देशाटन या पर्यटन पर निकल गए। सदियों पहले जब आवागमन के इतने ज्यादा साधन नहीं थे, तब भी आबादी के हिसाब से तीर्थस्थलों पर कम आबादी नहीं जुटती थी। प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक हो या दक्षिण भारत के तीर्थस्थल, हमारे देश के लोग उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम सदियों पहले भी आते-जाते रहे हैं। तीर्थ दर्शन उनके लिए पुण्य कमाने का जरिया भले ही नहीं रहा हो, लेकिन धर्म से जरूर जुड़ा रहा। आत्मिक सुख के लिए लोग सदियों से तीर्थस्थलों की यात्रा करते रहे हैं। अब जब आवागमन के विकसित संसाधन मौजूद हैं, तो बहुत सारे लोग आर्थिक दुरावस्था के कारण तीर्थयात्रा कर पाने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे लोगों के लिए हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना शुरू की है। वैसे यह योजना पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने शुरू की थी, लेकिन सीएम नायब सिंह सैनी ने इसमें विस्तार किया है। इन दिनों प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है। देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज पहुंचकर पवित्र संगम में स्नान करके पुण्य लाभ कमा रहे हैं। सीएम सैनी ने प्रदेश के साठ या उससे ऊपर की आयु के वरिष्ठ नागरिकों को महाकुंभ में स्नान करने का मौका प्रदान किया है। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश के एक हजार से ज्यादा बुजुर्ग स्त्री-पुरुष को महाकुंभ में स्नान के लिए सरकारी खर्चे पर भेजा जा चुका है। उनके आने-जाने और खाने-पीने का खर्च सैनी सरकार उठा रही है। उनकी सारी सुख-सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। पात्र महिला-पुरुष को उनके मनचाहे तीर्थ स्थल पर भेजा जा रहा है। जो महाकुंभ में जाना चाहते हैं, उन्हें प्रयागराज भेजा जा रहा है। जो भगवान राम के दर्शन करने के आकांक्षी हैं, उन्हें अयोध्या भेजा जा रहा है। 1.80 लाख रुपये सालाना से कम कमाई वाले बहुत कम ही बुजुर्ग महिला-पुरुष अपने खर्चे पर तीर्थ स्थल जा पाते हैं। ऐसी दशा में मुख्यमंत्री की यह योजना उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में उन्हें अपने आराध्य देव के दर्शन उपलब्ध हो जाएं, इससे बेहतर बात और क्या होगी।

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