तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के पुत्र और प्रदेश सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन के बयान को लेकर उत्तर भारत में बवाल मचा हुआ है। सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया से करने और उसे मिटाने की बात कहने वाले उदयनिधि के खिलाफ कई जगह एफआईआर दर्ज कराई गई है। निकट भविष्य में और भी रिपोर्ट दर्ज कराई जा सकती है। जहां तक मैं समझता हूं, दक्षिण भारत में बार-बार धर्म के नाम पर उठने वाले विवाद दरअसल दो सभ्यताओं के बीच का टकराव है। उदयनिधि जिस दल में हैं उसका नाम ही द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम है। उनकी पार्टी के नाम में जुड़ा द्रविड़ शब्द ही स्पष्ट कर देता है कि यह विवाद दो सभ्यताओं का है। दक्षिण भारत में आजादी से पहले और उसके बाद भी आर्य और द्रविड़ का विवाद चलता आया है।
यह विवाद कोई नया नहीं है, सदियों पुराना है। आर्य और द्रविड़ सभ्यताओं को लेकर सैकड़ों साल पहले पैदा हुए विवाद और इतिहास को लेकर दो मत हैं। एक मत के इतिहासकार मानते हैं कि द्रविड़ भारत की पुरानी सभ्यताओं में से एक है। पहले यह भारत के उत्तरी क्षेत्र में भी रहते थे, लेकिन कालांतर में वे मेसोपोटामिया (वर्तमान में ईरान और उसके आसपास का क्षेत्र), बीच में वे अफगानिस्तान, बलूचिस्तान आदि में रुके और वहीं बस गए। इस इलाके में रहने वाले ब्राहुई समुदाय द्रविड़ सभ्यता से ही निकाल है जिसकी भाषा तमिल और तेलुगु आदि से मिलती जुलती है। दक्षिण में रहने वाले द्रविड़ वहीं जमे रहे। उनका मानना है कि तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़ आदि दक्षिण भारत की भाषाएं संस्कृत से नहीं निकली हैं। कुछ लोग मानते हैं कि जब आर्य भारत आए, तो यहां के मूल निवासी द्रविड़ दक्षिण की ओर सरकते गए और वहीं बस गए। दूसरी तरफ कुछ इतिहासकार मानते हैं कि आर्य बाहर से नहीं आए थे। वे यहीं के मूल निवासी थे।
दुनिया के कई देशों में गुणसूत्रों पर हुए शोध से साबित होता है कि आर्य और द्रविड़ के गुणसूत्र लगभग समान हैं। मतलब यह है कि दोनों एक ही पूर्वज की संतान हैं। सेंटर फार सेल्युलर एंड मालिक्यूलर बायलॉजी के पूर्व निदेशक लालजी सिंह ने देश के 13 राज्यों की 25 अलग-अलग जाति समूहों के गुणसूत्र को एक समान पाया था। लेकिन दोनों समुदायों के धार्मिक रीति-रिवाजों, मंदिरों की संरचना और वास्तुशिल्प में भारी भिन्नता का कारण समझ में नहीं आता है। दक्षिण और उत्तर भारत के खानपान और पकाने के तरीके में भी काफी अंतर है। दक्षिण और उत्तर भारत के खाने के तरीके भी अलग-अलग हैं।
आर्य और द्रविड़ सभ्यता को लेकर सदियों से विवाद चला आ रहा है। इस विवाद को आंदोलन का रूप दिया ईवीके रामास्वामी पेरियार ने। पेरियार का आंदोलन ब्राह्मणवाद के खिलाफ माना जाता है। यहीं से दक्षिण भारतीय राजनीति में द्राविड़वाद का उदय हुआ। द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम ने पेरियार के दर्शन को लपक लिया और उसी को आगे बढ़ाती रही है। अब यह विवाद जितना तूल पकड़ता जाएगा, दक्षिण में भाजपा की इंट्री मुश्किल होती जाएगी। वहीं इंडिया गठबंधन के लिए उत्तर भारत में दिक्कत खड़ी होती जाएगी। यही वजह है, इस मामले में भाजपा आक्रामक है, इंडिया बैकफुट पर है।