लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी सेनाएं सजानी शुरू कर दी है। भाजपा, सपा और कांग्रेस सहित कई दलों ने कुछ-कुछ अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। राष्ट्रीय आधार पर तो भाजपा और कांग्रेस ही राजनीतिक दल हैं जिन्हें अपने उम्मीदवार उतारने हैं। बाकी एकाध राज्यों में अपना प्रभाव रखने वाली क्षेत्रीय पार्टियां हैं। हरियाणा में भी भाजपा और कांग्रेस में ही मुख्य रूप से मुकाबला होने वाला है। भाजपा ने हरियाणा के लिए अपने छह प्रत्याशियों की सूची भी जारी कर दी है। बाकी चार उम्मीदवारों पर गहन विचार विमर्श किया जा रहा है। एकाध दिन में बाकी चार नामों की घोषणा हो सकती है। वहीं कांग्रेस अभी इस मामले में वेट एंड वाच की रणनीति अपनाए हुए है। उसे हरियाणा में नौ उम्मीदवारों की घोषणा करनी है।
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट इंडिया गठबंधन ने आम आदमी पार्टी को दे रखा है। आप ने वहां से सुशील गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया है। चूंकि हरियाणा के सभी लोकसभा सीटों पर छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है, ऐसे में उम्मीदवारों की घोषणा करने में किसी भी दल को कोई जल्दबाजी नहीं है। कांग्रेस के हरियाणा प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया कहते हैं कि प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने हाईकमान से यहां के उम्मीदवारों को लेकर बातचीत कर ली है। सब कुछ फाइनल कर लिया गया है। बस, यह देखना है कि भाजपा बाकी चार सीटों हिसार, रोहतक, कुरुक्षेत्र और सोनीपत पर किसे अपना प्रत्याशी बनाती है।
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यदि ऐसी स्थिति में कांग्रेस को किसी परिवर्तन की जरूरत हुई, तो वह कर सकती है। वैसे गुटबाजी की वजह से भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का टिक पाना काफी मुश्किल लग रहा है। भाजपा काफी पहले से ही लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगी हुई थी। उसके कार्यकर्ता भी बड़े उत्साह से घर-घर जाकर लोगों से संपर्क साध रहे थे। सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में लगे हुए थे। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आपस में ही लड़ने में लगे हुए थे। एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए मीडिया तक का सहारा लिया गया।
ऐसी स्थिति में हाईकमान की कड़ाई के चलते यदि एक साथ चले भी तो जनता में कोई सकारात्मक संदेश देने में सफल हो पाएंगे, ऐसा कम ही लगता है। वैसे भी भाजपा और जजपा ने आपसी सहमति से अलग होकर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने की तैयारी कर ली है। गठबंधन से अलग होकर जजपा अगर किसी के वोटबैंक में सेंध लगाएगी, तो वह कांग्रेस ही है। ऐसी स्थिति में भी भाजपा मजबूत होती नजर आ रही है। बहरहाल, यह राजनीति है, कब किस करवट बैठेगी, इसके बारे में नहीं कहा जा सकता है। जनता के मन में क्या है? इसका पता तो आगामी चार जून को ही पता चलेगा।
-संजय मग्गू
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