कैलाश शर्मा
आज लोग तनाव, व्यस्तता और भागदौड़ के चलते भूल गए हैं कि जिंदगी क्या है? आज के आधुनिक युग में व्यक्ति जीवन जीना भूल गया है। जिंदगी के असल मायने क्या हैं, वह इसको समझ नहीं पा रहा है। वह केवल इंटरनेट की दुनिया में खोता चला गया है। वह हर चीज आॅनलाइन देखना पसंद करता है। उसे ओपन कुछ अच्छा ही नहीं लगता है क्योंकि उसे पता ही नहीं है कि दिन कब होता है, रात कब होती है। वह तो प्रकृति का असली आनंद उठाना तक भूल गया है। वह तो केवल अपने इंटरनेट में, अपने मोबाइल में, अपने कंप्यूटर में व्यस्त रहता है। जिंदगी उसकी पर, उसे पता ही नहीं, वह कौन से रास्ते पर चल रहा है। वह अपनी जिंदगी मकसद ही भूल गया है। इसको जिंदगी काटना कहते हैं, जीना नहीं।
जिंदगी जीनी चाहिए, काटनी नहीं चाहिए। पहले व्यक्ति हर चीज अपने हाथ से अपने अनुभव से करता था, सीखता था इससे वह हर कार्य करने में आनंद उठाता था। तब उसे हम कह सकते हैं कि वह जिंदगी जीता था। जिंदगी परिवार के साथ सुख और शांति से और जियो और जीनो दो के सिद्धांत से जी जाती है। खुशी जीवन जीने के लिए अच्छे लोगों की संगति का होना बहुत जरूरी है। कई बार आपके आसपास ऐसे लोग रहते हैं, जो हमेशा नकरात्मकता सोच रखते हैं। ना खुश रहते हैं और ना किसी को रहने देते हैं। यह लोग जीवन का नासूर बनकर रह जाते हैं। ऐसे लोगों से जितनी जल्दी हो किनारा कर लेना चाहिए। ऐसे लोगों से संपर्क रखें जो आपको पॉजिटिव एनर्जी दें और जो ‘जियो और जीने दो’ की विचारधारा रखते हों।
स्वस्थ और मस्त जीवन जीने व खुशी प्राप्त करने के लिए नियमित तौर पर योग और व्यायाम जरूर करें। इससे आपके शरीर में हैप्पी हार्मोन्स रिलीज होंगे। जब खुशी प्रदान करने वाले हार्मोन रिलीज होंगे, तो जीवन महक उठेगा। सब कुछ अच्छा लगने लगेगा। हर दिन कुछ अच्छा और सार्थक करने की कोशिश करें। आपको लगना चाहिए कि आज का दिन आपने कुछ अलग या कुछ अच्छा किया है। जितना हो सके, निस्वार्थ भाव से जरूरतमंदों की सेवा सहायता जरूर करें। शरीर को तंदुरुस्त रखने के लिए अपने रोजाना के खानपान और अपनी डाइट में बदलाव जरूर करना चाहिए। एक समय तय कर लें। रोजाना उसी निश्चित समय पर सुबह का नाश्ता/जलपान, दोपहर व रात्रि भोजन करना चाहिए। इससे किसी भी प्रकार से समझौता नहीं करना चाहिए।
सबका भला करो भगवान, सबको सम्मत दो भगवान। ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करने से आपका भी भला होगा औरों का भी भला होगा। यह एक जांचा, परखा गया सत्य है। दूसरों के बारे में अच्छा सोचने से आपको पॉजिटिव एनर्जी का अनुभव होगा, चेहरे पर खुशी रहेगी। देश और समाज की तरक्की के लिए अपना भी योगदान होना चाहिए। बड़े पुण्य कर्मों से मानव जीवन मिलता है। इसको जाया मत जाने दें। अत: इसका ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग करें। अपने प्यारे भारत देश की प्राचीन संस्कृति, महानता को देखने के लिए हमको साल में एक दो बार जरूर अपने परिवार और अपनी मित्र मंडली के साथ धार्मिक व दर्शनीय स्थलों पर जरूर जाना चाहिए। ऐसा करने से एक ओर जहां पारिवारिक प्रेम बढ़ता है, अपने इष्ट मित्रों के साथ आत्मीय व घनिष्ठ रिश्ता भी बढ़ता है। इससे भी तन मन स्वस्थ रहता है, खुशी मिलती होती है। ऐसा करने से सामाजिकता का विकास होता है। हम अपने समाज के बारे में सोचने को मजबूर हो जाते हैं। जब ऐसा होता है, तो हम अपने समाज का भला ही करते हैं। अंत में एक बात जरूर कहनी है कि सभी को अपनी नेक कमाई पर ही विश्वास करना चाहिए। ईमानदारी और सच्चाई से रोजगार करना चाहिए। मेहनत और ईमानदारी से कमाये गए पैसे को ही घर में लाना चाहिए। उससे बने खाने से ही बरकत होती है, घर में खुशहाली आती है। जैसा खाओगे अन्न, वैसा रहेगा मन और स्वस्थ रहेगा तन। यदि हम अपने विचारों को सात्विक रखेंगे, तो यकीन मानिए हम हमेशा लोगों का भला ही सोचेंगे। जब विचार अच्छे होंगे, तो कर्म भी अच्छा ही होगा। लोग और समाज उसे पसंद भी करेंगे।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)
कैलाश शर्मा