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हरियाणा में भी बढ़ेगी  स्त्रियों की राजनीतिक भागीदारी

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पूरी दुनिया में महिलाओं की आबादी कुल आबादी का लगभग आधा है। यही वजह है कि जब भी महिलाओं से जुड़ी कोई बात चलती है, तो उन्हें आधी आबादी कहा जाता है। अब तो यह शब्द रूढ़ होकर नारी के लिए प्रयोग किया जाने लगा है। इसी आधी आबादी के लिए कल नए संसद भवन में एनडीए सरकार ने लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश किया है। यह बिल जब कानून बन जाएगा, तो देश की संसद और राज्यों की विधानसभाओं की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए के लिए आरक्षित हो जाएंगी। संसद और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ जाएगी। जब ऐसा होगा, तो हरियाणा में भी महिलाओं का राजनीति में हस्तक्षेप बढ़ेगा।

अभी तो  इस बात पर विवाद है कि यह वर्ष 2024 से लागू होगा या 2029 से, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि संसद के इस विशेष सत्र में यह  बिल पारित हो जाएगा। यदि ऐसा होता है तो हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में लगभग तीस महिलाओं को विधायक बनने का मौका मिलेगा। वर्तमान विधानसभा में अभी तीन ही महिलाएं हिस्सा हैं। इसी तरह लोकसभा की दस सीटों में से तीन पर महिलाओं की भागीदारी होगी। एक या दो सीटें राज्यसभा की भी महिलाओं को मिल सकती हैं। इस बिल के कानून बनते ही फायदा यह होगा कि प्रदेश की राजनीति में पुरुषों का एकाधिकार टूटेगा और तिहाई सीटें महिलाओं के लिए छोड़नी होंगी। प्रदेश में महिला नेताओं की संख्या कम है।

वैसे भी महिलाएं ज्यादा राजनीति में रुचि नहीं लेती हैं। वह इसमें रुचि कम क्यों लेती हैं, इसके सामाजिक और धार्मिक कारण हो सकते हैं। देखा जाए तो जीवन का शायद ही कोई क्षेत्र हो, जहां महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलकर साथ न खड़ी हों। कारखानों, कार्यालयों या अन्य क्षेत्र में जितनी मेहनत पुरुष करते हैं, उससे कहीं ज्यादा महिला भी कर सकती है। पुरुषों की तरह ही सारे काम महिलाएं कुशलता से करती हैं और उससे ज्यादा कर सकती हैं। इसके बावजूद महिलाओं को कम आंका जाता है। लेकिन अब लोगों की मानसिकता में बदलाव आ रहा है।

कभी जब महिला आरक्षण की बात चली थी, तब एक सांसद ने कहा था कि इस विधेयक के जरिए क्या आप परकटी महिलाओं की सदन में एंट्री कराना चाहते हैं? वे हमारी ग्रामीण महिलाओं का प्रतिनिधित्व कैसे करेंगी? जब किसी पार्टी के मुखिया और सांसद की ऐसी सोच हो, तो ऐसे देश में नारी शक्ति वंदन अधिनियम का लोकसभा में पेश होना ही बहुत बड़ी बात है। इस बिल के पेश होने के बाद यह उम्मीद हो चली है कि अब राजनीतिक क्षेत्र में भी  महिलाओं की सक्रियता बढ़ेगी। हर राजनीतिक दलों को महिलाओं को आगे लाना होगा। महिलाएं न केवल समाज को बदल सकती हैं, बल्कि राजनीति की दिशा और दशा भी दल सकती हैं। वे महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव, दुर्व्यवहार और असमानता के खिलाफ अच्छी तरह लड़ सकती हैं।

संजय मग्गू

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