Monday, October 7, 2024
29.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiदलित वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुटे सियासी दल

दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुटे सियासी दल

Google News
Google News

- Advertisement -

संजय मग्गू
प्रदेश विधानसभा की नब्बे सीटों में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। हरियाणा में जाट समुदाय के बाद सबसे ज्यादा वोट बैंक दलितों का है। भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जजपा, बसपा, इनेलो आदि इसी दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश में लगे हुए हैं। जाट वोट पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा की ओर झुके हुए थे, यही वजह थी साल 2014 में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला और साल 2019 में थोड़े बहुत जाट वोट बैंक में बिखराव आने से पूर्ण बहुमत भाजपा को नहीं मिला। मजबूरन भाजपा को जजपा से समझौता करके सरकार बनानी पड़ी। भाजपा को इस बार पूरी तरह से समझ में आ गया है कि जाट वोट बैंक बिखर चुका है। यही वजह है कि भाजपा अब दलित वोटों को रिझाने में लगी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से लेकर सीएम नायब सिंह सैनी तक दलितों को अपने पाले में लाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। भाजपा के स्टार प्रचारक जहां भी रैली करते हैं, वे दलितों और ओबीसी समुदाय के सबसे बड़े हितैषी के रूप में अपने आप को पेश करते हैं। वह दलितों और ओबीसी समाज के लिए चलाई गई योजनाओं का जिक्र करना नहीं भूलते हैं। इसके साथ ही साथ कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों को दलित विरोधी बताने का भरपूर प्रयास किया जाता है। कांग्रेस की सबसे बड़ी दलित नेता कुमारी सैलजा की अपनी पार्टी से नाराजगी के मामले को भाजपा ने खूब उछालने का प्रयास किया। पूर्व सीएम मनोहर लाल ने तो सैलजा को भाजपा में शामिल होने तक का आफर दिया, लेकिन सैलजा ने यह कहकर भाजपा को करारा जवाब दिया कि मैं तो कांग्रेसी झंडे से लिपटकर ही इस दुनिया से जाऊंगी। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित अन्य नेता संविधान बचाने और आरक्षण खत्म करने का भय दिखाकर दलितों को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रहे हैं। हरियाणा में कांग्रेस का दलितों और ओबीसी में कुछ हद तक पहले भी पैठ रही है, लेकिन पिछले दो विधानसभा चुनावों में यह वोट बैंक छिटक गया था। अब सारा ध्यान कांग्रेस का दलितों पर है। प्रदेश की राजनीतिक पार्टियों को अच्छी तरह से मालूम है कि प्रदेश की तीस सीटों पर दलित मतदाता फैसला करते हैं। यदि तीस सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाने वाले दलित जिस ओर झुक जाएंगे, उस दल की सरकार बनने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। यही वजह है कि भाजपा और कांग्रेस लेकर सभी राजनीतिक दल दलितों को अपने पाले में लाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। प्रदेश की सियासत में अनुसूचित जाति का वर्गीकरण भी एक मुद्दा बनता जा रहा है। दलितों का एक समुदाय वर्गीकरण के पक्ष में है, तो दूसरा समुदाय विरोध में।

संजय मग्गू

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Haryana Exit Poll 2024: हरियाणा में BJP हैट्रिक से चूकी, कांग्रेस सरकार के संकेत

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान शनिवार को खत्म हुआ। इसके बाद टीवी चैनलों और एजेंसियों के एग्जिट पोल्स (Haryana Exit Poll) आ गए।...

Naxalism पर वार, 9 महीनों में 202 माओवादी ढ़ेर, 700 से ज्यादा ने किया सरेंडर

केंद्रीय गृह मंत्रालय की रणनीति के कारण नक्सल (Naxalism) प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को महत्वपूर्ण सफलता मिल रही है। इस साल के पहले...

NIA ने जम्मू-कश्मीर समेत पांच राज्यों में की छापेमारी, जैश आतंकी गिरफ्तार

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई की। इस कार्रवाई में जम्मू-कश्मीर, असम, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश...

Recent Comments