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हंगरी के भुलक्कड़ गणितज्ञ पॉल एर्डोस

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बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
बीसवीं सदी के महान गणितज्ञ पॉल एर्डोस का जन्म 26 मार्च 1913 को हंगरी के बुडापेस्ट में हुआ था। वह अपने मां-पिता के एकमात्र जीवित संतान थे। उनके जन्म से पहले उनकी तीन और पांच साल की दो बहनें बुखार से पीड़ित होकर मर गई थीं। उनके माता-पिता यहूदी स्कूल में हाई स्कूल के बच्चों को गणित पढ़ाते थे। माता-पिता की वजह से उनकी रुचि गणित में हुई और उन्होंने अपनी लगन और मेहनत के चलते 21 साल की उम्र में गणित में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल कर ली थी। पॉल एर्डोस की दो चाची, दोनों चाचा और पिता द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मारे गए थे। परिवार के नाम पर सिर्फ उनकी मां ही बची थीं। बाद में वह हंगरी को छोड़कर अमेरिका चले गए थे। कहा जाता है कि यह महान गणितज्ञ बहुत बड़ा भुलक्कड़ था। वह कई बार भूल जाते थे कि उनका घर कहां है। कई बार तो वह काम करते करते इतना खो जाते थे कि उन्हें अपने खाने-पीने का होश ही नहीं रहता था। एक बार की बात है। वह हंगरी में किसी सेमिनार में गए। वहां वह एक गणितज्ञ से मिले और उससे बातचीत करनी शुरू कर दी। उन्होंने साथी गणितज्ञ से पूछा कि आप कहां से आए हैं? उस गणितज्ञ ने कहा कि मैं वेनकुवर से आया हूं। और आप कहां से आए हैं। तब पॉल एर्डोस ने कहा कि तब तो आप मेरे घनिष्ठ मित्र इलियट मैंडेलसन को अवश्य जानते होंगे। यह सुनकर वह गणितज्ञ मुस्कुराया और बोला, हां-हां, मैं उन्हें अच्छी तरह से जानता हूं। मैं ही मैंडेलसन हूं। लेकिन इसी भुलक्कड़ गणितज्ञ और खगोलशास्त्री ने अपने जीवन काल में लगभग 1,500 गणितीय पत्र प्रकाशित किए। यह एक चमत्कृत कर देने वाला आंकड़ा है। ऐसे गणितज्ञ की मौत भी वॉरसा के गणित सम्मेलन में हुआ था।

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