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राहुल गांधी को इंतजार किसका है, निकाल फेंके

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अशोक मिश्र
कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का दो दिवसीय गुजरात दौरे के दौरान दिया गया बयान इन दिनों काफी चर्चा में है। अहमदाबाद में उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस में आधे कार्यकर्ता और नेता ऐसे हैं जिनके मन में कांग्रेस है। बाकी आधे नेता और कार्यकर्ता ऐसे भी हैं जिनमें से आधे भाजपा से मिले हुए हैं। राहुल गांधी की यह बात सही है, लेकिन यह सिर्फ गुजरात के संदर्भ में ही नहीं, पूरे देश के मामले में भी सही हो सकती है। कांग्रेस में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो कांग्रेस को ही उस समय बैकफुट पर लाकर खड़ा कर देते हैं, जब कांग्रेस कुछ अच्छा करने वाली होती है। गुजरात में पिछले तीस साल से कांग्रेस की सरकार नहीं है। इसके लिए कांग्रेस की कुछ नीतियां और भाजपा की रणनीति जिम्मेदार हो सकती हैं। लेकिन यह भी सही है कि गुजरात में कांग्रेस संगठन काफी हद तक धराशायी हो चुका है। कांग्रेस के ज्यादातर नेता या तो निष्क्रिय हो चुके हैं या फिर उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है। सन 2022 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस के 37 नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया था। भाजपा ने इन कांग्रेस से आए नेताओं पर दांव लगाया जिसमें से 34 नेताओं ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। यदि प्रदेश नेतृत्व ने इन बागी नेताओं को अपने साथ लेकर चलने का प्रयास किया होता तो 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को 156 सीटें हासिल हुई थीं।
पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान ही राजनीतिक विश्लेषकों ने यह कहना शुरू कर दिया था कि गुजरात कांग्रेस के नेताओं में वह उत्साह और पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता नहीं दिखाई दे रही है जिसकी पार्टी को जरूरत है। आधे-अधूरे मन से कांग्रेस नेताओं ने चुनाव लड़ा था। यदि कांग्रेस ने बागी 37 नेताओं को सहेजने में सफलता पाई होती, तो कांग्रेस कम से कम सम्मानजनक सीटें हासिल करने में सफल हो गई होती। उसे सिर्फ17 सीटों पर सिमटना नहीं पड़ता। हां, सन 2017 का जुनाव जरूर गुजरात कांग्रेस ने मन से लड़ा था। भाजपा को बहुत अच्छी टक्कर दी थी। एक बार तो लगने लगा था कि कांग्रेस इस बार गुजरात में अपनी सरकार बनाने में सफल हो जाएगी। लेकिन उसी दौरान प्रधानमंत्री आवास पर पाकिस्तानी अधिकारियों की बैठक को लेकर कांग्रेसी नेता मणि शंकर अय्यर ने एक ऐसा बयान दिया कि सारा माहौल ही पलट गया। मोदी नीच है कहकर उन्होंने कांग्रेस की जीती हुई बाजी हारने पर मजबूर कर दिया। उस दौरान चौथे चरण का मतदान होना बाकी था और मोदी जी ने इसी मुद्दे को गुजराती अस्मिता से जोड़कर हारती हुई भाजपा को जिता दिया था।
राहुल गांधी का यह कहना सही है कि कांग्रेस में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो गाहे-बगाहे अनर्गल बयान देकर भाजपा को बैठे बिठाए मुद्दा देते रहते हैं। ऐसे नेता सिर्फमणि शंकर अय्यर ही नहीं है, ढेर सारे हैं। जब तक इन नेताओं को पार्टी से बाहर नहीं किया जाता। नए और उत्साही कार्यकर्ताओं, नेताओं को गांव और ब्लाक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक बागडोर नहीं दी जाती, तब तक किसी भी राज्य में कांग्रेस का भला नहीं हो सकता है। सबसे पहले तो कांग्रेस हाईकमान को प्रदेशों और केंद्रीय संगठन में चल रही गुटबाजी को खत्म करना होगा। संगठन में वरिष्ठ होने के नाते बड़े-बड़े पदों पर कब्जा जमाकर निष्क्रिय नेताओं को हाथ पकड़कर बाहर करना होगा। उसकी जगह युवाओं को यह जिम्मेदारी देनी होगी। जो भी पार्टी विरोधी काम करता मिले, उसके निकल जाने का इंतजार करने से बेहतर है कि उसे तुरंत कान पकड़कर बाहर कर दिया जाए। अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी काम करने वाले पार्टी को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं। यदि शरीर में फोड़ा हो जाए, तो उससे मवाद निकलने का इंतजार करने से बेहतर है कि आपरेशन कर दिया जाए।
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

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