Wednesday, March 12, 2025
26.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiराजा भोज और बहुरूपिया

राजा भोज और बहुरूपिया

Google News
Google News

- Advertisement -

राजा भोज परमार वंश के शासक थे। एक बार की बात है। राजा भोज के दरबार में एक बहुरूपिया आया। उसने पांच स्वर्ण मुद्राएं दक्षिणा में मांगी। राजा भोज का मानना था कि किसी को दान-दक्षिणा देने से अच्छा है कि उसकी प्रतिभा का सम्मान किया जाए और उसकी प्रतिभा के लिए पुरस्कृत किया जाए। तब राजा भोज ने कहा कि कलाकार, तुम्हारी कला को देखकर तुम्हें पुरस्कृत तो किया जा सकता है, लेकिन दान नहीं दिया जा सकता है। इस पर बहुरूपिया बोला, महाराज! मुझे तीन दिन का समय दीजिए, मैं अपनी कला दिखाऊंगा। इतना कहकर वह चला गया।

दूसरे दिन कुछ चरवाहों ने एक साधु को पहाड़ी की चोटी पर तपस्यारत पाया, तो वे उसके पास गए। उन्होंने अपनी क्षमता के अनुसार कुछ दान-दक्षिणा देकर आशीर्वाद मांगा, लेकिन साधु ने आंखें नहीं खोली। साधु की चर्चा नगर में होने लगी। यह चर्चा सुनकर राजा भोज का प्रधानमंत्री भी साधु के पास गया। उसने साधु को प्रणाम करते हुए धन से भरी पोटली उनके सामने रख दी। उसने आशीर्वाद की आकांक्षा प्रकट की, लेकिन साधु ने न पोटली को छुआ और न ही आंखें खोली। निराश प्रधानमंत्री ने यह बात जाकर राजा भोज को बताई, तो वे भी अगले दिन साधु के पास पहुंचे और ढेर सारा धन उसके चरणों में रख दिया। लेकिन साधु वैसे ही बैठा रहा।

यह भी पढ़ें : क्या बिखराव की ओर बढ़ चली है बसपा!

अगले दिन सारी पोटली लेकर बहुरूपिया दरबार में पहुंचा और साधु वाली बात बताकर पांच स्वर्ण मुद्राएं मांगी। राजा ने कहा कि कल मैंने तुम्हारे आगे ढेर सारा धन रख दिया, लेकिन तुमने छुआ नहीं। आज पांच स्वर्ण मुद्राएं मांग रहे हो। तब बहुरूपिये ने कहा कि कल साधु के वेश में था, तो साधु का आचरण कैसे छोड़ देता। राजा ने ढेर सारा धन देकर उसे विदा कर दिया।

-अशोक मिश्र

लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

क्या तकनीक वाकई महिला किसानों तक पहुँच रही है?

-प्रियंका सौरभडिजिटल तकनीक और छोटे-मोटे हस्तक्षेपों ने भारतीय कृषि में महिलाओं के लिए परिदृश्य को काफ़ी हद तक बदल दिया है। इन नवाचारों ने...

Recent Comments