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क्षेत्रीय दलों को अब बदलनी होगी अपनी सियासी रणनीति

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संजय मग्गू
अब जब हरियाणा में चुनावी शोर पूरी तरह थम गया है। सरकार बनाने की कवायद शुरू हो गई है। उम्मीद है कि आगामी कुछ दिनों में प्रदेश सरकार के मुखिया के रूप में नायब सिंह सैनी शपथ ग्रहण करें। यह भी कहा जा रहा है कि उनके साथ कुछ मंत्री भी शपथ ले सकते हैं। बहरहाल यह सब कुछ भाजपा और उनके आलाकमान पर निर्भर करता है। कुछ ही दिनों में नई सरकार अपना कामकाज शुरू कर देगी। हरियाणा की जनता ने जो जनादेश दिया है, जिन चुनावी वायदों पर भरोसा करके जनता ने भाजपा को सत्ता सौंपी है, उन्हें पूरा करने में नई सरकार जुट जाएगी। एक एक कर जनता के सपने पूरे होंगे। ऐसी स्थिति में जो राजनीतिक दल इस चुनावी मुहिम में पिछड़ गए हैं, उनके सामने नई चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। वे भविष्य में क्या करेंगे, इसकी रूपरेखा उन्हें अभी से बनानी शुरू करनी होगी। सबसे ज्यादा संकट तो प्रदेश में क्षेत्रीय दलों के सामने आ खड़ा हुआ है। भाजपा और कांग्रेस राष्ट्रीय दल हैं। इन दोनों का वोट प्रतिशत भी ज्यादा है। सिर्फ एक प्रतिशत वोट अधिक पाकर भाजपा कांग्रेस को शिकस्त देने में कामयाब रही। लेकिन जजपा, इनेलो, आम आदमी पार्टी, हलोपा, बसपा जैसी तमाम पार्टियों के सामने तो अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया। यह संकट दिनोंदिन गहराता जाएगा, यदि इन राजनीतिक दलों ने अपनी सक्रियता को बरकरार नहीं रखा। पांच साल का समय कोई कम नहीं होता है। इतने दिनों में लोग भूल जाते हैं। यदि क्षेत्रीय दलों को अपना अस्तित्व बचाए रखना है, तो उन्हें बराबर सक्रिय रहकर जनता की समस्याओं को सरकार के सामने उठाना होगा और उन्हें हल कराना होगा। यह सही है कि जो विधायक जीते हैं, वे अपने क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान देंगे ही। लेकिन जो हारे हैं, अगर वे जनता की समस्याओं को सरकार के सामने रखते हैं, तो निश्चित है कि सरकार उन समस्याओं को हल करने की कोशिश करेगी। भले ही वह इसका श्रेय खुद ले, लेकिन स्थानीय जनता इस बात को अच्छी तरह से समझेगी। क्षेत्रीय दलों के सामने सबसे बड़ा संकट यह है कि उनके पास संसाधन कम होते हैं, उनके पास कुछ ही लोकप्रिय चेहरे होते हैं। ऐसे लोकप्रिय चेहरे पूरे प्रदेश की हवा बदल दें, अपने पक्ष में कर लें, ऐसा कम ही होता है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि इन दलों के नेता अपने अपने क्षेत्र में इतने लोकप्रिय बनें कि वे अपने अपने क्षेत्र की जनता को अपने पक्ष में करने में सक्षम हो जाएं। हालांकि, यह बहुत कठिन कार्य है। भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों के सामने ऐसी दिक्कत नहीं होती है। खासतौर पर भाजपा को तो कतई नहीं। भाजपा के पास पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसा चेहरा जो किसी भी क्षेत्र में जाकर हवा का रुख बदल सकता है। उनका संगठन भी काफी मजबूत है।

संजय मग्गू

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