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कंप्यूटर साक्षरता से जोड़ना होगा ग्रामीण किशोरियों को

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जब से टेक्नोलॉजी का विकास हुआ है, पूरी दुनिया एक गांव के रूप में सिमट गई है। इसमें सबसे बड़ी भूमिका कंप्यूटर की है। आज के समय में कंप्यूटर का ज्ञान होना पहली प्राथमिकता हो गई है। टेक्नोलॉजी के इस दौर में बिना कंप्यूटर के आज किसी भी फील्ड में आगे बढ़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो गया है। आज कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जहां कंप्यूटर का इस्तेमाल जरूरी ना बन गया हो। गवर्नमेंट फील्ड हो या प्राइवेट सेक्टर, कोई भी क्षेत्र बिना इसके अधूरा है।

जब बात कंप्यूटर की आती है, तो यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर देश और दुनिया में कंप्यूटर साक्षरता दर कितनी है और कितने प्रतिशत लोग कंप्यूटर से आज के समय में जुड़े हैं? वैसे तो विश्व का बड़ा हिस्सा कंप्यूटर की जानकारी रखता है। भारत की लगभग शहरी आबादी कंप्यूटर से जुड़ी हुई है। दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में आज भी कंप्यूटर की साक्षरता दर कम है। विशेषकर पुरुषों की अपेक्षा ग्रामीण महिलाओं और किशोरियां कंप्यूटर की जानकारी से अभी दूर हैं। विश्व में सर्वाधिक कंप्यूटर उपयोग वाला देश जहां संयुक्त राष्ट्र अमेरिका है, वहीं अगर भारत की बात की जाए तो इस सूची में भारत का स्थान 19वां है।

देश में जहां 59 प्रतिशत पुरुष डिजिटल लिटरेसी हैं, वहीं मात्र 29 प्रतिशत महिलाएं ही कंप्यूटर चलाना जानती हैं। इन आंकड़ों से यह साफ हो जाता है कि कंप्यूटर साक्षरता दर अभी भारत में कहीं ना कहीं कम है। इस मामले में महिलाएं तो बहुत पीछे हैं। यह युग कंप्यूटर का है इसलिए महिलाओं और किशोरियों को इसमें दक्ष होना ही पड़ेगा। लोगों में कंप्यूटर की जानकारी एवं महत्व को बढ़ाने के उद्देश्य से नेशनल इंस्टीट्यूट आफ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी द्वारा साल 2001 में विश्व कंप्यूटर साक्षरता दिवस की भी शुरुआत की गई है।

प्रति वर्ष 2 दिसंबर को आयोजित इस दिवस के माध्यम से लोगों को कंप्यूटर साक्षरता की दिशा में जागरूक भी किया जाता है। इसके अतिरिक्त कई सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से कंप्यूटर साक्षरता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। इस दिशा में भारतीय सेना भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जो जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों के युवाओं विशेषकर किशोरियों को कंप्यूटर की जानकारी देने और उसमें दक्ष करने के उद्देश्य से अपना योगदान दे रही है।

भारतीय सेना की ओर से जम्मू जिला स्थित अखनूर तहसील के सीमावर्ती इलाका खुई मिलान के एक सरकारी हाई स्कूल के छात्र-छात्राओं को तीन माह में कंप्यूटर कोर्स कराने का प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसमें बच्चों को कंप्यूटर की बेसिक जानकारी दी जाएगी, ताकि वह इससे न केवल परिचित हो सकें बल्कि भविष्य में इसके माध्यम से रोजगार हासिल कर सकें। इस कोर्स को पूरा करने वाले छात्र-छात्राओं को सर्टिफिकेट भी दिए जाएंगे। इस स्कूल में सेना द्वारा नियुक्त किए गए कंप्यूटर टीचर बलवीर सिंह कहते हैं कि 90 दिनों में हम बच्चों को बेसिक सिखाएंगे और हमारी कोशिश रहेगी कि हर बच्चा इसमें दक्ष हो जाए।

उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में छात्राएं उत्साह के साथ इस कोर्स को सीख रही हैं। बलवीर सिंह कहते हैं कि हमारा लक्ष्य है कि हर शहरी क्षेत्रों की तरह ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी कंप्यूटर की बेसिक जानकारी अवश्य होनी चाहिए। अन्यथा आज के टेक्नोलॉजी के इस दौर में वह पीछे रह जाएंगे। इस संबंध में आंचलिक शिक्षा अधिकारी विदुषी गुप्ता का कहना है कि पहले बच्चों को स्वयं आर्मी वाले कंप्यूटर सिखाते थे। लेकिन बच्चे रोज आर्मी वालों के पास जाकर कंप्यूटर नहीं सीख पाते थे। जिसको देखते हुए हमारी आर्मी ने स्कूल को 10 कंप्यूटर डोनेट किया है ताकि बच्चों को कंप्यूटर सीखने दूर न जाना पड़े। (चरखा)
(यह लेखक के निजी विचार हैं।)

-हरीश कुमार

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