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शादी में हर्ष फायरिंग एक बेहूदा और समाज विरोधी चलन

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संजय मग्गू
बुधवार की रात चरखी दादरी में एक हादसा हुआ। हादसे में 13 साल की लड़की जिया मारी गई। जिया का कसूर इतना था कि वह झज्जर से अपने पिता, मां और भाई के साथ शादी में शामिल होने चरखी दादरी आई थी। जब जिया अपने परिवार के साथ घर जाने वाली थी कि तभी बारात आ गई। बारात में शामिल कुछ लोग हर्ष फायरिंग कर रहे थे। दूल्हे के दोस्तों को अपने दोस्त की शादी की इतनी खुशी थी कि वह अपनी खुशी को जाहिर करने के लिए बंदूक से फायरिंग करने लगे। और इसी फायरिंग में एक गोली जिया की खोपड़ी में लगी और जिया की मौत हो गई। इस हादसे में उसकी मां और एक अन्य महिला भी घायल हो गई। इससे पहले भी जींद जिले के गांव एंचरा कला में भी बारातियों की हर्ष फायरिंग में एक लड़की बुरी तरह घायल हो गई थी। हरियाणा में ही नहीं, लगभग पूरे उत्तर भारत में शादी-विवाह या अन्य मांगलिक अवसरों पर हर्ष फायरिंग का चलन बढ़ रहा है। हरियाणा की सैनी सरकार ने बड़ी सख्ती से शादी-विवाह ही नहीं, किसी भी अवसर पर हर्ष फायरिंग पर पाबंदी लगा रखी है। अदालतें भी ऐसे मामले में सख्त हैं, लेकिन फिर भी लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। यह चलन तो अब हरियाणा के गांवों में भी जोर पकड़ रहा है। इस बात की पुष्टि आए दिन अखबारों में छपने वाली खबरें करती हैं। शादी विवाह के सीजन में ऐसी खबरें अक्सर आ ही जाती हैं। यह सच है कि जब किसी लड़का या लड़की की शादी होती है, तो परिजनों और उसके दोस्तों को खुशी होती है। वह इस मौके को खास बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन क्या हर्ष फायरिंग ही वह जरिया है जिससे अपनी खुशी को जाहिर किया जा सकता है। कतई नहीं, बल्कि यह कानूनन अपराध है। पिछले कुछ दशक से यह भी चलन में आ गया है कि लड़का-लड़की की शादी के दौरान शराब आदि का खूब सेवन किया जाता है। शराब पीकर नशे में धुत होकर बैंड-बाजा या डीजे की धुन पर नाचने को अब फैशन मान लिया गया है। नशे में धुत लोग अव्यवस्था पैदा करते हैं जिसकी वजह से कई बार मारपीट भी हो जाती है। मामला पुलिस तक पहुंच जाता है। यह कोई अच्छी परंपरा नहीं है। शादी दो परिवारों के बीच एक रिश्ता कायम करती है। हमारे देश में शादी-विवाह को एक पवित्र संस्कार माना गया है। विवाह दो आत्माओं के पवित्र मिलन का प्रतीक है। स्वाभाविक है कि ऐसे पवित्र मौके पर किसी तरह के अपवित्र कार्य को जायज नहीं ठहराया जा सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि विवाह खुशी का अवसर है। ऐसे मौके पर हर व्यक्ति को खुश होने का अधिकार है, लेकिन खुशी जाहिर करने का तरीका शालीन और सम्मानजनक होना चाहिए। कम से कम हर्ष फायरिंग या शराब पीकर नाचना,तो शालीन नहीं हो सकता है।

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