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सड़क दुर्घटना में घायलों को डेढ़ लाख तक इलाज की सुविधा सराहनीय फैसला

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संजय मग्गू
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का यह कहना बिल्कुल उचित है कि दुनिया में सड़क हादसों को लेकर सबसे खराब रिकॉर्ड हमारा है। केंद्र सरकार ने तय किया था कि सन 2024 तक देश में होने वाले कुल हादसों में 50 प्रतिशत कमी लाई जाएगी। लेकिन सच तो यह है कि हमारे देश में सड़क हादसे बढ़ते ही जा रहे हैं। हरियाणा में भी सड़क हादसे कम नहीं होते हैं। सड़क हादसों में होने वाली मौत के मामले में हरियाणा देश में चौथे नंबर पर है। साल 2022 का आंकड़ा बताता है कि प्रदेश में 11875 सड़क हादसे हुए थे जिसमें 6424 लोगों की मौत हुई थी। मरने वालों की यह संख्या इससे पहले साल के मुकाबले में 4.4 प्रतिशत ज्यादा थी। यदि हम राष्ट्रीय आधार पर बात करें, तो यह आंकड़ा मरने वालों की दर 5.2 प्रतिशत है, लेकिन हरियाणा में यह दर 5.7 प्रतिशत पाई जाती है। हरियाणा में सबसे ज्यादा हादसे राजमार्गों पर ही होते हैं। पिछले साल राष्ट्रीय राजमार्गों पर लगभग 3,600 दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 2,924 लोगों की जान चली गई और राज्य राजमार्गों पर 1,942 दुर्घटनाओं में 922 लोग मारे गए। एक्सप्रेसवे पर 127 दुर्घटनाएं हुईं और 107 लोगों की मौत हुई। इन हादसों के जो शिकार होते हैं, सबसे बड़ी समस्या उनके इलाज की आती है। पहली बात तो यह है कि सड़क पर हादसे से घायल पड़े व्यक्ति को राहगीर अस्पताल पहुंचाने में काफी लापरवाही बरतते हैं। उसके बाद यदि वह किसी तरह अस्पताल पहुंच गया, तो उसके इलाज का खर्च कौन देगा, यह तय कराने में अस्पताल वाले जुट जाते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए प्रदेश की सैनी सरकार ने सड़क दुर्घटना में घायल हुए प्रत्येक व्यक्ति को सात दिन के भीतर डेढ़ लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा प्रदान करने का फैसला लिया है। यह एक लोककल्याणकारी फैसला है। कई बार होता यह है कि घायल व्यक्ति की आर्थिक दशा ऐसी नहीं होती है कि वह तत्काल इलाज का भार वहन कर सके। ऐसी स्थिति में कई बार घायल उचित इलाज के अभाव में मर जाते हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए ही सैनी सरकार ने यह फैसला लिया है। इसके लिए पत्र जारी करते हुए प्रदेश के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हरदीप दून ने कहा कि व्यक्ति की सड़क हादसे में घायल होने की छह घंटे में पुलिस को पुष्टि करनी होगी। दरअसल, यह पायलट प्रोजेक्ट राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा राज्य स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय पुलिस के सहयोग से चलाया जाएगा। घायलों को अनुंबधित अस्पतालों में चिकित्सा उपलब्ध कराई जाएगी। प्रदेश सरकार का यह फैसला सराहनीय जरूर है, लेकिन प्रदेश के वाहन चालकों का रवैया सराहनीय नहीं है। वे राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्गों और अन्य मार्गों पर तय सीमा से अधिक तेज वाहन दौड़ाते हैं जिसकी वजह से हादसे होते हैं।

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