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HomeEDITORIAL News in Hindiसंयुक्त प्रयास से ही कम किया  जा सकता है देश में प्रदूषण

संयुक्त प्रयास से ही कम किया  जा सकता है देश में प्रदूषण

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संजय मग्गू
पिछले दो दिन से उत्तर से आने वाली हवाओं के चलते हरियाणा में भले ही वायु गुणवत्ता सूचकांक में कमी आई हो, लेकिन यह राहत बहुत दिन कायम रहने वाली नहीं है। इसका कारण यह है कि जिन वजहों से प्रदूषण फैलता है, वे कारण अभी तक मौजूद हैं। यही वजह है कि प्रदेश सरकार को सख्त कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार ने तो बिना ढके निर्माण सामग्री बाहर रखने वालों पर बीस हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया है। कुछ लोगों से यह जुर्माना वसूला भी गया है। प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र न रखने वाले वाहन चालकों पर दस हजार रुपये जुर्माना वसूला जाता है। इन सब उपायों के बाद भी हालात काबू में नहीं आ रहे हैं। सुप्रीमकोर्ट भी दिल्ली सरकार से लेकर अन्य पड़ोसी राज्यों की सरकारों पर सख्त टिप्पणी कर चुकी है। कोर्ट के सख्त रवैये के चलते ही दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों को संयुक्त टॉस्क फोर्स का गठन करना पड़ा। इन तीनों राज्यों के 14 आईपीएस अधिकारियों को टॉस्क फोर्स में शामिल किया गया है। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस के एडिशनल कमिश्नर को टॉस्क फोर्स का नोडल अधिकारी बनाया गया है। वैसे हर साल इन राज्यों की ट्रैफिक पुलिस प्रदूषण मामले को लेकर कार्रवाई करती थी, लेकिन उसके सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ रहे थे। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी भी मामले को लेकर शायद उतने गंभीर नहीं थे। यही वजह है कि सुप्रीमकोर्ट की फटकार के बाद इन राज्यों को संयुक्त टॉस्क फोर्स का गठन करना पड़ा। यह बात पूरी तरह सच है कि राज्यों में होने वाले प्रदूषण में वाहनों के धुएं की 22 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह हिस्सेदारी पराली जलाने से पैदा हुए धुएं से कहीं ज्यादा है। कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने पराली से होने वाले प्रदूषण को दस प्रतिशत माना था। इस बात को सुप्रीमकोर्ट में भी रखा गया था और प्रदूषण के महत्वपूर्ण कारकों पर ध्यान देने की जरूरत बताई गई थी। टॉस्क फोर्स के गठन के बाद प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई तेज हुई है, इसमें कोई दो राय नहीं है। उत्तर प्रदेश और हरियाणा की सीमाओं पर ट्रैफिक पुलिस ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। दिल्ली की सीमाओं पर संयुक्त रूप से चेकिंग की जा रही है और जो भी ग्रैप नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया जा रहा है, उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अब तक 64 हजार से अधिक वाहनों के चालान प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र न होने के कारण काटे गए हैं। दस साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल चालित 1342 वाहनों को जब्त किया गया है। 7126 वाहनों को दिल्ली की सीमा में प्रवेश करने से रोका गया है। यदि तीनों राज्यों में इसी तरह सख्ती बरती जाए, तो शायद प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

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