पूरे मणिपुर में एक बार फिर अफस्पा लागू होने की आहट सुनाई दे रही है। यह वही कानून है जिसके विरोध में वर्ष 2004 में मणिपुर की तीस महिलाओं ने पूरी तरह नग्न होकर प्रदर्शन किया था। इन महिलाओं ने जो बैनर उठा रखा था, उसमें लिखा था-इंडियन आर्मी रेप अस। पिछली 22 फरवरी को जब मणिपुर हाईकोर्ट ने अपने 27 मार्च 2023 के फैसले में से एक पैराग्राफ हटा दिया था, तो यह सोचा गया था कि अब मणिपुर में शांति स्थापित हो जाएगी। यहां के लोग अब सामान्य जीवन जी पाएंगे, लेकिन ऐसा होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
मणिपुर पुलिस कमांडोज ने पिछले दिनों अपने-अपने हथियार सरेंडर करके हालात को और गंभीर बना दिया है। इन पुलिस कमांडोज का कहना है कि जब हमारे सामने गोलियां चल रही होती हैं, पथराव और आगजनी हो रही होती है, तब भी हम जवाबी कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में अपने पास राइफल रखने का कोई अर्थ नहीं है। यही नहीं, पिछले कई सालों से कुकी उग्रवादी संगठनों के साथ चले आ रहे सस्पेंशन आफ आपरेशन (एओओ) को रद्द करने का प्रस्ताव पिछले गुरुवार को विधानसभा में पारित करके केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया है।
यह भी पढ़ें : देश की मीडिया को भी अब जिम्मेदार हो जाना चाहिए
इस समझौते के अनुसार, सुरक्षा बल और कुकी उग्रवादी संगठन एक दूसरे पर हमला नहीं करते थे। मणिपुर में कुल 32 कुकी उग्रवादी समूह है जिनमें से 25 संगठन सस्पेंशन आफ आपरेशन के अधीन हैं। हालांकि केंद्र सरकार अभी मणिपुर विधानसभा के प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया है, लेकिन पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि यदि हमें फर्ज निभाने से रोका गया, तो पूरे मणिपुर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को लागू करना हमारी मजबूरी हो जाएगी। मणिपुर के 19 थाना क्षेत्रों में अफस्पा कानून लागू नहीं है। पिछले एक साल से इन्हीं क्षेत्रों में सबसे ज्यादा हिंसक घटनाएं हुई हैं। अफस्पा कानून का पूरे मणिपुर की अवाम विरोध करती आ रही है। इस कानून का पुलिस और सेना ने अतीत में बेजा इस्तेमाल किया है।
पुलिस और सेना किसी भी नागरिक को पूछताछ के नाम पर उठा ले जाती थी, महिलाओं और लड़कियों को थाने बुलाकर उनके साथ सामूहिक बलात्कार करती थी। उनकी हत्या कर दी जाती थी। इस कानून की आड़ में सेना और पुलिस कर्मी सजा से बच जाते थे। वर्ष 2004 में मीरापैबी संगठन की महिलाओं ने सेना और पुलिस कर्मियों के अत्याचार से तंग प्रदर्शन किया था। अब यदि एक बार फिर मणिपुर के 19 थाना क्षेत्रों में अफस्पा कानून लागू कर दिया गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। मणिपुर में सबसे ज्यादा संवेदनशील यही थाना क्षेत्र हैं। वैसे तो बाकी पहाड़ी जिलों में यह कानून अभी लागू है, लेकिन मैतोई और कुकी-मिजो के बीच टकराव का यही क्षेत्र है। एक तरह से यही कहा जा सकता है कि मणिपुर एक बार फिर ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठा हुआ नजर आ रहा है।
-संजय मग्गू
लेटेस्ट खबरों के लिए जुड़े रहें : https://deshrojana.com/