किसी भी किस्म का नशा हो, स्वास्थ्य को नुकसान तो पहुंचाता ही है, वह सामाजिक रूप से भी छवि बिगाड़कर रख देता है। हरियाणा जैसे प्रदेश में पिछले कुछ दशकों से लगातार बढ़ते नशे के चलन ने सबको चिंता में डाल दिया है। शायद ही किसी किस्म का नशा हो, जो प्रदेश में उपलब्ध न हो जाता हो। प्रदेश में नशीले पदार्थों की बढ़ती खपत की वजह से ही पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हुक्का बारों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो अब भी कायम है। इसके लिए दंड का भी प्रावधान किया था, लेकिन अफसोस यह है कि नशे का चलन किसी भी हालत में कम नहीं हुआ।
इस बात को लेकर लोकसभा चुनाव में सियासी दलों ने मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। राजनीतिक दलों का दावा है कि प्रदेश में नशा कारोबार दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन सरकार इस पर लगाम लगा पाने में विफल साबित हो रही है। वहीं, प्रदेश सरकार नशा तस्करों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई को अपनी उपलब्धि बताकर विपक्षी दलों को जवाब देने की कोशिश कर रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हर महीने तीन सौ-साढ़े तीन सौ नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, उन पर विभिन्न धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए हैं। साल 2024 की पहली तिमाही में ही हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने 97 मुकदमों में 118 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है।
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पिछले साल ब्यूरो ने 3823 मामलों में मुकदमा दर्ज करके 5460 तस्करों को काबू किया था। इन आंकड़ों के आधार पर कहें, तो प्रदेश की हालत यह है कि कुल बाइस जिलों में 16 जिले नशे की बुरी तरह चपेट में हैं। ये जिले नशा तस्करों के चलते हॉट स्पाट बन चुके हैं। कहा जाता है कि इन जिलों में हर किस्म का नशा बहुत आसानी से उपलब्ध हो जाता है। प्रदेश में हेरोइन, सुलफा, गांजा, चरस, भुक्की, अफीम, स्मैक जैसे सभी तरह के नशे बिक रहे हैं। नारकोटिक्स ब्यूरो ने पिछले साल भारी मात्रा में हेरोइन, चरस, गांजा, स्मैक जैसे नशीले पदार्थ को कब्जे में लेकर तस्करों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे। प्रदेश में नशा तस्करों की सक्रियता चिंता का विषय है।
प्रदेश को नशा मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर सरकार को अभियान चलाना होगा। नशा तस्करों का जाल तोड़ना, सबसे जरूरी है। इसके साथ ही साथ हर जिले में अधिक से अधिक नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना करनी होगी। जो नशा मुक्ति केंद्र पहले से चल रहे हैं, उनमें से ज्यादातर में सुविधाओं का अभाव है। यही नहीं, नशीले पदार्थों की खपत रोकने के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो में रिक्त पदों पर भर्तियां करनी होगी। आज भी प्रदेश स्तर पर एनसीबी में 178 पद खाली हैं जिसकी वजह से तस्करों के खिलाफ मुहिम चलाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। यदि सरकार एक बार गांवों और शहरों में नशे का जाल तोड़ने में सफल हो गई, तो प्रदेश नशा मुक्त हो सकता है।
-संजय मग्गू
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