मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बहुत पहले ही घोषित कर दिया था कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार मामले में जीरो टॉलरेंस की नीतियों पर काम करेगी। भ्रष्टाचार किसी भी किस्म का हो, दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। पिछले नौ सालों से सरकार की कोशिश यही रही है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जाए। पिछले दिनों मनोहर लाल सरकार ने स्थानीय निकायों को कुछ विशेषाधिकार दिए थे। अब उन विशेषाधिकारों में कुछ शर्तें जोड़ दी गई हैं। वैसे स्थानीय निकाय किसी भी प्रदेश के हों, आम जनता में उनकी छवि लुटेरी व्यवस्था की ही है।
हरियाणा में भी नगर पालिका परिषदों और नगर पालिका समितियों में खूब भ्रष्टाचार होता था। विकास कार्यों को समय से पूरा करने की जगह उसे काफी दिनों के लिए लटका दिया जाता था। इसके बाद ठेकेदार और अधिकारी मिलकर उसका बजट बढ़ा लेते थे और उस बढ़ी हुई रकम को आपस में बांट लेते थे।
ऐसा न हो, इसके लिए शहरी एवं स्थानीय निकाय विभाग ने नया आदेश जारी किया है। विकास कार्य पूरा होने के दस दिन के भीतर स्थानीय निकायों को भुगतान का फैसला लेना होगा। इसके लिए दस दिन के भीतर ही अप्रूवल कमेटी की बैठक में इसको पारित होना जरूरी है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि हर क्षेत्र में तेजी से काम होगा।
हर ठेकेदार चाहेगा कि उसका काम पूरा हो और उसे उसकी मेहनत का प्रतिफल तत्काल मिल जाए। भुगतान जारी करने के लिए जो कमेटी बनेगी, उसमें जिस इलाके में काम हो रहा है, उस इलाके के पार्षद का सदस्य होना अनिवार्य है। इलाके की समस्याओं के बारे में पार्षद अच्छी तरह से जानता समझता है। कमेटी में उसके होने से भुगतान में पारदर्शिता रहेगी। काम होने के बाद यदि कोई कमी रह जाती है, तो इसके लिए पार्षद भी जिम्मेदार माना जाएगा। विकास काम शुरू होते ही पार्षद को हो रहे काम पर निगरानी रखनी होगी।
वह इस बात पर भी ध्यान देगा कि ठेकेदार का भुगतान समय पर हो जाए। इसके लिए नगर निकाय अध्यक्ष को अधिकार दिया गया है कि भुगतान अनुमोदन समिति की बैठक की तिथि, समय और स्थान वगैर तय हो जाए और बैठक भी सुचारू रूप से हो भी जाए। नगर पालिका परिषद और समिति अध्यक्ष को 50 लाख रुपये तक के भुगतान के लिए संबंधित शहरी निकाय की भुगतान अप्रूवल कमेटी का चीफ बनाया गया है। इन अध्यक्षों को 50 लाख रुपये तक के विकास कार्यों को अनुमोदित करने और भुगतान करने का अधिकार दिया गया है।
इस मामले में सरकार का मानना है कि भुगतान की समय सीमा निर्धारित करने से भ्रष्टाचार की आशंका काफी कम है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का यह फैसला स्थानीय निकायों में भ्रष्टाचार की आशंका को काफी कम कर देता है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल इसको लेकर काफी उत्साहित हैं।
संजय मग्गू